‘Anhad Ahad ‘ : भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी का कहना है कि बाल साहित्य का लेखन ‘परकाया प्रवेश’ जैसा है। संवेदना, वात्सल्य और मासूमियत से ही बच्चों को संबोधित किया जा सकता है,अहद जी ऐसे ही रचनाकार थे। वो बहुत बेहतर इंसान थे, इसलिए
