नई दिल्ली। क्या कभी गुड्डी देवी, मुन्नी खरवार, हलीमा और माया लोदी ने सोचा होगा कि वे भारत के राष्ट्रपति के साथ बैठेंगी और देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन विभूति उनसे आत्मीयता से संवाद करेंगी? शायद नहीं, लेकिन यह असंभव-सा प्रतीत होने वाला सपना आकांक्षा समिति की अध्यक्ष
