बीते नवंबर माह में देश के प्रमुख हवाई अड्डों पर हवाई सेवाओं के संचालन में भारी दिक्कत हुई थी। दिल्ली के आईजीआई हवाई अड्डे (IGI Airport) पर करीब 800 उड़ानें प्रभावित हुईं। इस दौरान एटीसी (ATS) की तरफ से ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (Automatic Message Switching System) में खराबी बताया गया था, लेकिन अब केंद्र सरकार ने संसद में एक लिखित बयान में स्वीकार किया है कि दिल्ली समेत देश के प्रमुख हवाई अड्डों पर साइबर हमला हुआ था, यानी इन सभी हवाई अड्डों पर आने और यहां से उड़ान भरने वाले विमान जीपीएस स्पूफिंग (GPS Spoofing) का शिकार हुए हैं।
नई दिल्ली। बीते नवंबर माह में देश के प्रमुख हवाई अड्डों पर हवाई सेवाओं के संचालन में भारी दिक्कत हुई थी। दिल्ली के आईजीआई हवाई अड्डे (IGI Airport) पर करीब 800 उड़ानें प्रभावित हुईं। इस दौरान एटीसी (ATS) की तरफ से ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (Automatic Message Switching System) में खराबी बताया गया था, लेकिन अब केंद्र सरकार ने संसद में एक लिखित बयान में स्वीकार किया है कि दिल्ली समेत देश के प्रमुख हवाई अड्डों पर साइबर हमला हुआ था, यानी इन सभी हवाई अड्डों पर आने और यहां से उड़ान भरने वाले विमान जीपीएस स्पूफिंग (GPS Spoofing) का शिकार हुए हैं।
क्या है जीपीएस स्पूफिंग?
जीपीएस स्पूफिंग (GPS Spoofing) एक साइबर हमला (Cyber Attack) है, जिसमें नकली सिग्नल भेजकर किसी भी डिवाइस को गलत लोकेशन दिखाई जाती है। जैसे आपके फोन की लोकेशन अचानक चार किमी दूर दिखने लगे, वैसा ही विमानों के साथ होता है। जब यह विमान के साथ होता है, तो उसका नेविगेशन सिस्टम गलत दिशा में जा सकता है, जिससे दुर्घटना का खतरा काफी बढ़ जाता है।
पहले सरकार ने क्या दिया था आंकड़ा
वहीं इससे पहले केंद्र सरकार ने संसद में एक आंकड़ा पेश किया था। सरकार ने लोकसभा में बताया था कि नवंबर 2023 से फरवरी 2025 के बीच 465 जीपीएस स्पूफिंग (GPS Spoofing) की घटनाएं भारत-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र (अमृतसर और जम्मू) में दर्ज की गईं। वहीं अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (IATA) की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 में 4.3 लाख जीपीएस जैमिंग (GPS Jamming) और स्पूफिंग घटनाएं दर्ज की गईं, जो 2023 की तुलना में 62% अधिक हैं।