आयुर्वेद में किसी भी बीमारी के इलाज से पहले इंसान के शरीर के दोष चेक किये जाते है। वात, पित्त और कफ ये तीन दोष लगभग सभी तरह की बीमारियों को जन्म देते है। ऐसे में अगर आप जानना चाहते हैं कि आपका शरीर किस तरह की प्रकृति का है।
आयुर्वेद में किसी भी बीमारी के इलाज से पहले इंसान के शरीर के दोष चेक किये जाते है। वात, पित्त और कफ ये तीन दोष लगभग सभी तरह की बीमारियों को जन्म देते है। ऐसे में अगर आप जानना चाहते हैं कि आपका शरीर किस तरह की प्रकृति का है। आयुर्वेद में इसके लक्षणों के बारे में बताया गया है। न्यूट्रिशनिस्ट श्वेता शाह ने शरीर में वात, पित्त और कफ के लक्षणों को इंस्टाग्राम पर शेयर किया है।
जिन लोगो के शरीर की प्रकृति वात होती है। शरीर में जब वायु यानी वात बढ़ता है तो पेट में गैस बनने लगती है, एसिडिटी होने लगती है और खाना खाने के बाद पेट फूलने लगता है।
इतना ही नहीं घबराहट, बेचौनी और मन आस्थिर होता है। होंठ हर मौसम में फटे रहते है। शरीर में दर्द बना रहता है। ऐसे लक्षणों वाले इंसान में वात प्रकृति पायी जाती है। ऐसे लोगो को हमेशा गर्म और आसानी से पचने वाली चीजें खानी चाहिए।
वहीं पित्त प्रकृति वाले लोगो को छोटी छोटी बातों पर गुस्सा आता है। एसिडिटी होती और और चेहरे पर मुहांसे बहुत अधिक निकलने लगते है। पसीना बहुत अधिक आता है। साथ ही शरीर से बद्बू भी आती है। इसके अलावा बार बार भूख लगना भी पित्त प्रकृति के लक्षण है।
पित्त बढ़ने पर शरीर में गर्मी बढ़ती है और पाचन से संबंधित दिक्कतें होने लगती है। वहीं जिन लोगो के शरीर की प्रकृति कफ दोष वाली होती है ऐसे लोगो का वजन घटाने के बावजूद वजन नहीं घटता। बिस्तर पर लेटने के बाद भी टाइम से नींद महीं आती है। आलस आता है और पूरा दिन लेटे रहते है।किसी काम को करने में मन लगता है। इन दोषों को समझ कर ही आयुर्वेद में इलाज किया जाता है।