भारत ने 25 जुलाई को चेन्नई स्थित इंटेग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में अपने पहले हाइड्रोजन-चालित ट्रेन कोच का सफल परीक्षण कर इतिहास रच दिया है। इसके साथ ही हरित परिवहन के एक नए युग में प्रवेश किया है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि भारतीय रेल में सतत और स्वच्छ गतिशीलता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
नई दिल्ली। भारत ने 25 जुलाई को चेन्नई स्थित इंटेग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में अपने पहले हाइड्रोजन-चालित ट्रेन कोच का सफल परीक्षण कर इतिहास रच दिया है। इसके साथ ही हरित परिवहन के एक नए युग में प्रवेश किया है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि भारतीय रेल में सतत और स्वच्छ गतिशीलता की दिशा में एक बड़ा कदम है। भारत को उन कुछ चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है जो हाइड्रोजन आधारित रेल प्रौद्योगिकी को अपना रहे हैं। यह पहल भारत के नेट-ज़ीरो उत्सर्जन (Net-Zero Emissions) लक्ष्यों को प्राप्त करने और रेलवे बुनियादी ढांचे को स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों के साथ आधुनिक बनाने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।
यह जानकारी केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Union Railway Minister Ashwini Vaishnav) ने दी। उन्होंने बताया कि हाइड्रोजन ट्रेन का ट्रायल टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। भारत अब 1200 हॉर्सपावर की हाइड्रोजन ट्रेन पर भी काम कर रहा है। इस सफलता के साथ भारत उन चुनिंदा देशों जैसे स्वीडन, जर्मनी, चीन और फ्रांस की लिस्ट में शामिल हो गया है, जहां हाइड्रोजन फ्यूल (Hydrogen Fuel) से चलने वाली ट्रेनों की तकनीक मौजूद है।
First Hydrogen powered coach (Driving Power Car) successfully tested at ICF, Chennai.
India is developing 1,200 HP Hydrogen train. This will place India among the leaders in Hydrogen powered train technology. pic.twitter.com/2tDClkGBx0
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) July 25, 2025
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हाइड्रोजन ट्रेनों की अवधारणा वैश्विक स्तर पर डीजल चालित इंजनों के विकल्प के रूप में उभरी, विशेषकर उन रेल मार्गों पर जो अभी तक विद्युतीकृत नहीं हैं। जर्मनी, फ्रांस और जापान जैसे देशों ने पहले ही सीमित मार्गों पर हाइड्रोजन ट्रेनें शुरू कर दी हैं। भारत ने 2023 में “हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज” पहल के तहत इस तकनीक की संभावनाओं का पता लगाना शुरू किया। रेलवे मंत्रालय ने डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट्स (DEMU) को हाइड्रोजन से संचालित इकाइयों में रूपांतरित करने और नई हाइड्रोजन ट्रेनें विकसित करने का प्रस्ताव रखा, ताकि धरोहर और पर्वतीय मार्गों पर स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा दिया जा सके।
इस दिन मिल जाएगी पहली ट्रेन
रेलवे ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत हरियाणा के जींद-सोनीपत रेल खंड पर 89 किलोमीटर की दूरी पर इस ट्रेन का ट्रायल किया। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 111.83 करोड़ रुपये बताई जा रही है। 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली इस ट्रेन को जल्द ही नियमित रूप से चलाया जा सकता । सूत्रों के मुताबिक, नॉर्दर्न रेलवे के इस रूट पर आठ कोच वाली नॉन-एसी हाइड्रोजन ट्रेन चलेगी, जिसमें दोनों तरफ हाइड्रोजन फ्यूल पावर कार होगी। बताया जा रहा है कि आईसीएफ 31 अगस्त तक इस ट्रेन की पहली डिलीवरी देने की तैयारी में है।
पर्यावरण के लिए वरदान
हाइड्रोजन ट्रेनें पर्यावरण के लिए बेहद अनुकूल हैं। डीजल और बिजली से चलने वाली ट्रेनों के मुकाबले ये ट्रेनें प्रदूषण को लगभग खत्म कर देती हैं। इन ट्रेनों से न धुआं निकलता है और न ही कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें। हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर आधारित ये ट्रेनें हाइड्रोजन गैस और ऑक्सीजन के रासायनिक रिएक्शन से बिजली पैदा करती हैं, जो ट्रेन को चलाने में मदद करती है। इस प्रक्रिया में उप-उत्पाद के रूप में सिर्फ पानी और भाप निकलती है, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता है।
हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज योजना
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साल 2023 के दौरान राज्यसभा में बताया था कि रेलवे की हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज योजना के तहत 35 हाइड्रोजन ट्रेनों को हेरिटेज और पहाड़ी रूट्स पर चलाने की योजना है। एक ट्रेन को तैयार करने में करीब 80 करोड़ रुपये की लागत आएगी, जबकि मैदानी और पहाड़ी इलाकों में ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में 70 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए रेलवे ने 2800 करोड़ रुपये का बजट तय किया है।