कुंभ संक्रांति सूर्य देव के कुंभ राशि में प्रवेश के बाद मनाई जाती है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा का विधान है। सूर्य के राशि बदलने को ही ज्योतिष में संक्रांति कहा जाता है।
Kumbh sankranti 2025 : कुंभ संक्रांति सूर्य देव के कुंभ राशि में प्रवेश के बाद मनाई जाती है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा का विधान है। सूर्य के राशि बदलने को ही ज्योतिष में संक्रांति कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन स्नान, दान और पूजा-पाठ से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। इस साल यह पर्व 12 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन विशेष रूप से मकर और सिंह राशि वालों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। कुंभ संक्रांति के अवसर पर तिल का दान, सूर्य देव की पूजा और ब्राह्मणों को भोजन कराने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस दिन दान की गई वस्तु का अमोघ फल मिलता है। शनि देव कुंडली में मजबूत होते है। शनि दोष समाप्त होता है
ऐसे करें सूर्य देव की पूजा
अर्घ्य दें
इस दिन सुबह उठकर स्नान करें और मुहूर्त पर अर्घ्य दें।
रोली चढ़ाएं
इस दिन भगवान सूर्य देव को दूध, जल, तिल, गुड़ और रोली चढ़ाएं।
सूर्य मंत्र का जाप
कुंभ संक्रांति के अवसर पर वैदिक मंत्रों का जाप करें।
सूर्य चालीसा का पाठ करें
सूर्य देव की चालीसा का पाठ करें। लाल वस्त्र धारण करके सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
प्रसाद बांटे
इसके बाद सभी लोगों को प्रसाद बांटे।
करें दान
बता दें कि इस दिन गरीबों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करने से कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है। इस अवसर पर किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।