महाकुंभ संगम स्नान और पितरों को जल देने का बड़ा महात्म है। पितरों को जल देने का मतलब है, उन्हें तर्पण करना। धर्म शास्त्रों में वर्णित है कि पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मुक्ति मिलती है।
Maha Kumbh Snan 2025 : महाकुंभ संगम स्नान और पितरों को जल देने का बड़ा महात्म है। पितरों को जल देने का मतलब है, उन्हें तर्पण करना। धर्म शास्त्रों में वर्णित है कि पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मुक्ति मिलती है। पितृ गण को जल देते समय मंत्र का जाप करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। पितरों को जल देने के नियम है। पितरों को जल मिले इसके लिए जल देने के सही नियमों का पालन करना आवश्यक है। महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या के दिन आयोजित हो रहा है। माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन पितृ धरती पर आते हैं। ऐसे में स्नान के बाद पितरों को जल देना चाहिए। आइये जानते है जल देने के कुछ जरूरी नियमों के बारे में।
इस बार मौनी अमावस्या पर कई शुभ योग बन रहे हैं। चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में होने के साथ ही गुरु वृषभ राशि में रहेंगे, जो इस स्नान को और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।
अमावस्या तिथि की शुरुआत
महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर किया जाएगा। ये महाकुंभ का सबसे बड़ा अमृत स्नान माना जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 जनवरी की शाम 7 बजकर 35 मिनट पर हो रही है। ये अमावस्या तिथि 29 जनवरी की शाम 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, महाकुंभ में मौनी अमावस्या का अमृत स्नान 29 जनवरी को किया जाएगा। इस दिन त्रिवेणी संगम पर भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे।
जल देने की दिशा
शास्त्रों के मुताबिक, दक्षिण दिशा आत्मा को समर्पित किया गया है। साथ इस दिशा को यम की दिशा भी कहा गया है। इस कारण जब भी आप अपने पितृ को महाकुंभ स्नान के बाद जल दें तो आपका मुंह दक्षिण दिशा की ओर रखें। इससे आपके पितरों को शांति मिलेगी।
देवी-देवताओं को जल अर्पित करने की दिशा
शास्त्रों में माना गया है कि ईशान कोण जो है वह देवी-देवताओं को समर्पित है। ऐसे में यदि आप देवी-देवताओं को जल अर्पित कर रहे हैं तो ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुंह कर जल दें। इससे आपके भाग्य खुल जाएंगे।
सूर्य देव को जल देने की दिशा
अगर आप सुबह स्नान कर रहे तो आपको सूर्य को उगते हुए दिशा यानी पूर्व दिशा में देना चाहिए और यदि शाम हो चुकी है तो आपको सूर्य के अस्त होने के दौरान पश्चिम दिशा में जल देना चाहिए।
शिवलिंग से गिर रहे जल को नहीं लांघना चाहिए
अगर आप स्नान के बाद शिव जी को जल देना चाहते हैं तो शिवलिंग के सामने उत्तर दिशा से जल देना चाहिए। साथ ही शिवलिंग की अर्धचंद्राकार परिक्रमा करना चाहिए। किसी भी कीमत पर शिवलिंग से गिर रहे जल को नहीं लांघना चाहिए।