सनातनधर्म में शिव महिमा का गुणगान किया जाता है। भगवान शिव को विभिन्न रूपों में पूजाता है। महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्त गण महादेव की विधिवत पूजा अर्चना करते है और उपवास व्रत का पलन कर भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करते है।
Maha Shivratri 2025 : सनातनधर्म में शिव महिमा का गुणगान किया जाता है। भगवान शिव को विभिन्न रूपों में पूजाता है। महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्त गण महादेव की विधिवत पूजा अर्चना करते है और उपवास व्रत का पलन कर भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करते है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान शिव व माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी, बुधवार को त्रिग्रही योग में मनाया जाएगा।
धर्म ग्रथों में वर्णित है कि भगवान शिव के कई अवतार है। शास्त्रों में शिवजी के कुल 19 अवतारों का जिक्र मिलता है, जिसमें वीरभद्र अवतार को पहला अवतार माना गया है। वीरभद्र, पिप्पलाद, नंदी अवतार,भैरव अवतार, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, ऋषि दुर्वास, हनुमान जी, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, ब्रह्मचारी अवतार, सुनटनतर्क और यक्ष अवतार। ये शिवजी के 19 अवतारों के नाम हैं।
महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्त गण शिव भक्ति में शिवालयों में शिवलिंग पर जलाभिषेक के साथ पुष्प, वेलपत्र, मदार, धतूरा, भांग और शिव को प्रिय दूध ,दही, घी, शक्कर,गन्ने का रस अर्पित करते है। दूध व गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करना शुभ माना गया है।भगवान शिव को अक्षत यानि चावल अर्पित करना शुभ माना जाता है। भोलेनाथ को केवल चंदन का तिलक ही लगाया जाता है। शिवपुराण के अनुसार चंदन की तासीर ठंडी होती है जिससे भोलेनाथ का क्रोध शांत रहता है।
भगवान शिव की पूजा में गलती से भी तुलसी के पत्ते का उपयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है और पूजा खंडित हो जाती है।