सनातन धर्म में जप ,तप, ध्यान, धूनी, स्नान—दान और उपवास का विशेष महत्व है। प्रत्येक वर्ष माघ मास की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या मनाई जाती है। धर्मग्रंथों के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के संगम में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है।
Mauni Amavasya 2025 : सनातन धर्म में जप ,तप, ध्यान, धूनी, स्नान—दान और उपवास का विशेष महत्व है। प्रत्येक वर्ष माघ मास की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या मनाई जाती है। धर्मग्रंथों के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के संगम में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। इस 144 वर्ष बाद कुंभ लगने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। प्रयागराज में शुरू हुआ महाकुंभ 2025 बेहद खास है, क्योंकि इस बार 144 साल बाद ग्रहों का दुर्लभ संयोग बनने वाला है। इस बार का महाकुंभ इसलिए खास है, क्योंकि इस दिन सूर्य, चंद्रमा, शनि और बृहस्पति के ग्रहों की शुभ स्थिति बन रही है । इस मौके पर पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध जैसे कर्म करने का भी दोगुना फल मिलता है। मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना और स्नान—दान फलदायी माना जाता है।
मौनी अमावस्या 2025 (Mauni Amavasya 2025)
पंचांग के अनुसार, माघ अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 जनवरी को शाम 7 बजकर 35 मिनट से होगी। वहीं, इस अमावस्या तिथि का समापन 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी और इसी दिन स्नान-दान आदि भी किया जाएगा।
मौनी अमावस्या के दिन दान का भी विशेष महत्व माना गया है। इस पावन दिन गरीब और जरूरतमंदों को खाने-पीने की सामग्री और गर्म कपड़ों का दान जरूर करें।
मौनी अमावस्या का महत्व
हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व होता है. मौनी अमावस्या के दिन कई मंगलकारी योगों का निर्माण हो रहा है। इन शुभ योग में महादेव की पूजा करने से जीवन के सभी दुख और संकटों से छुटकारा मिलता है। इस शुभ अवसर पर पितरों का तर्पण एवं पिंडदान किया जाता है।