पूरी दुनिया को प्रेम और सौहार्द का पाठ पढ़ाने वाले सिद्ध संत गुरु रविदास जी ने अपना संपूर्ण जीवन समाज कल्याण कार्यों में समर्पित कर दिया था।
Ravidas Jayanti 2025 : पूरी दुनिया को प्रेम और सौहार्द का पाठ पढ़ाने वाले सिद्ध संत गुरु रविदास जी ने अपना संपूर्ण जीवन समाज कल्याण कार्यों में समर्पित कर दिया था। उनका पूरा जीवन भक्ति और ज्ञान के लिए समर्पित रहा। संत मीराबाई भी रविदास जी को ही अपना गुरु मानती थीं। कबीर ने ‘संतन में रविदास’ कहकर इन्हें मान्यता दी है। मूर्तिपूजा, तीर्थयात्रा जैसे दिखावों में रविदास जी का बिल्कुल भी विश्वास न था। वह व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं और आपसी भाईचारे को ही सच्चा धर्म मानते थे। रैदास ने अपनी काव्य-रचनाओं में सरल, व्यावहारिक ब्रजभाषा का प्रयोग किया है, जिसमें अवधी, राजस्थानी, खड़ी बोली और उर्दू-फारसी के शब्दों का भी मिश्रण है। प्रत्येक माह माघ पूर्णिमा के तिथि को गुरु रविदास जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस साल गुरु रविदास जयंती 12 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा।
जन्म
रविदास जी को रैदास, रोहिदास और रूहिदास के नाम से भी जाना जाता है। वहीं संत गुरु रविदास का जन्म 1377 ई. में उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिला में हुआ था। पंचांग के अनुसार, गुरु रविदास जी का जन्म माघ मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। इसलिए हर वर्ष माघ पूर्णिमा के तिथि के अवसर पर इनकी जयंती मनाई जाती है।
भेदभाव के खिलाफ उठाई आवाज
संत रविदास जी अपने जीवनकाल में समाज में फैली बुराईयों और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने जो दोहे लिखे, वो आज भी लोगों की जुबान पर हैं। आज भी उनका योगदान सराहनीय है। गुरु रविदास जी की शिक्षाएं विशेषकर रविदासिया समुदाय के लोगों को अत्यधिक प्रभावित करती हैं और वे जाति, पंथ या लिंग की परवाह किए बगैर सभी लोगों की समानता में विश्वास करते हैं। संत रविदास की 41 कविताओं को सिखों के पवित्र ग्रंथ, गुरुग्रंथ साहिब में स्थान मिला हुआ है।