शारदीय नवरात्रि का शुभ दिन कला के माध्यम से देवी दुर्गा की उपासना का विशेष अवसर है। इस दौरान रचनात्मकता, एकाग्रता, कौशल, विवेक, धर्य, मन, बुद्धि की शुद्धि का विशेष अनुष्ठान किया जाता है।
Sharadiya Navratri 2025 : शारदीय नवरात्रि का शुभ दिन कला के माध्यम से देवी दुर्गा की उपासना का विशेष अवसर है। इस दौरान रचनात्मकता, एकाग्रता, कौशल, विवेक, धर्य, मन, बुद्धि की शुद्धि का विशेष अनुष्ठान किया जाता है। देवी दुर्गा विभिन्न कलाओं में निवास करती हैं। कला जगत के भक्त अपनी रचनात्मकता से मां दुर्गा की पूजा उपासना करते है। नवरात्रि के अवसर पर कलाकार कला के माध्यम से मां दुर्गा की असीमित शक्ति का प्रदर्शन करता है। कलाकार द्वारा अपनी कृति में सिंह पर सवार, कई भुजाओं वाली, और महिषासुर का वध करती हुई देवी दिखाया जाता है। मान्यता है कि देवी दुर्गा विभिन्न प्रकार की भारतीय कलाओं में निवास करती हैं। इसी प्रकार संगीत की साधना करने वाले मां मां दुर्गा के सरस्वती स्वरूप की पूजा करते है। भजन ,कीर्तन, नृत्य की साधना करने वाले कलाकार भक्त, देवी दुर्गा की साधना अपने कौशल के माध्यम से करते है।
सर्वोच्च ऊर्जा और शक्ति
देवी दुर्गा को सर्वोच्च ऊर्जा और शक्ति के रूप में देखा जाता है, और कला के माध्यम से इस ऊर्जा के प्रति विश्वास और सम्मान व्यक्त किया जाता है।
पटचित्र (Pattachitra)
विशेष रूप से ओडिशा में, देवी दुर्गा और अन्य देवताओं के चित्रण पटचित्र कला के माध्यम से कपड़े पर किए जाते हैं।
कालीघाट पटचित्र
यह कोलकाता के कालीघाट मंदिर के पास फला-फूला एक कला स्कूल था, जहाँ देवी दुर्गा के चित्र अपनी गहरी रेखाओं, जीवंत रंगों और सरलीकृत आकृतियों के लिए जाने जाते हैं। देवी दुर्गा भक्तों को विश्वास और श्रद्धा से प्रेरित करती हैं।
संस्कृति और पहचान का संगम
दुर्गा की कलाएँ बंगाल और भारत की संस्कृति में गहराई से निहित हैं, जो परंपरा और आधुनिकता के मिश्रण को दर्शाती हैं।