मोबाइल फोन हमारे जीवन का एक हिस्सा बन चुका है। वहीं आज कल पढ़ाई से लेकर नौकरी तक में कहीं न कहीं मोबाइल का सहारा लेना पड़ता है। इसलिए जो लोग घंटों मोबाइल पर स्क्रॉलिंग करते रहते हैं। इसका असर उनके शरीर, मन और भावनाओं पर भी पड़ने लगता है। आज हम अपने इस आर्टिक्ल में बतायेंगे स्क्रीन टाइम से होने वाले नुकसान और बचने के तरीके।
मोबाइल फोन हमारे जीवन का एक हिस्सा बन चुका है। वहीं आज कल पढ़ाई से लेकर नौकरी तक में कहीं न कहीं मोबाइल का सहारा लेना पड़ता है। इसलिए जो लोग घंटों मोबाइल पर स्क्रॉलिंग करते रहते हैं। इसका असर उनके शरीर, मन और भावनाओं पर भी पड़ने लगता है। आज हम अपने इस आर्टिक्ल में बतायेंगे स्क्रीन टाइम से होने वाले नुकसान और बचने के तरीके।
मोबाइल से माइग्रेन का कनेक्शन
एक लड़की को अचानक माइग्रेन की समस्या होने लगी। चिड़चिड़ापन बढ़ने लगा। सुबह उठकर शांत न महसूस करती है। दिनभर थकान रहती थी। आंखों में ड्राइनेस बढ़ गई। इससे उसका काम प्रभावित होने लगा। रिश्ते उलझने लगे थे। उसे ये सब देखकर समझ नहीं आ रहा था की ऐसा क्यों हो रहा है। जिसके बाद वो लड़की डॉक्टर के पास गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। तब उसके फैमिली डॉक्टर ने साइकोलॉजिस्ट से मिलने के लिए कहा। जब लड़की की थेरेपी शुरू हुई तो धीरे धीरे उसके माइग्रेन की वजह समझ आई। बता दें की लड़की की स्क्रीन टाइमिंग इतनी ज्यादा जिससे उसे इस तरीके की प्रोब्लेम हो गयी।
स्क्रीन स्क्रॉलिंग के साइड इफेक्ट
युकती मोबाइल पर घंटों स्क्रॉलिंग करती है। सोशल मीडिया पर दूसरों की लाइफ देखकर उसे लगता है कि उसकी लाइफ बेकार है। उसके जीवन में दूसरों की तरह खुशियां नहीं हैं। वो खूबसूरत नहीं है।वो दूसरों के वीडियो देखकर उनसे अपनी तुलना करती थी और दुखी रहती थी। मोबाइल स्क्रॉलिंग और नकारात्मक विचारों का सारा के मानसिक स्वास्थ्य पर इतना गहरा असर हुआ कि उसे लगातार माइग्रेन रहने लगा।
बॉडी शेमिंग के नुकसान
जिसे तरीके से वो लड़की अपनी तुलना दूसरे से कर रही थी उसी तरह और लोग सोशल मीडिया पर दूसरों से अपनी तुलना करते हैं। खुद को दूसरों से कम खूबसूरत या कम काबिल समझते हैं उनका कॉन्फिडेंस कम होने लगता है। नेगेटिव सोच का असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसके कारण उन्हें शारीरिक, मानसिक समस्याएं होने लगती हैं।
मोबाइल का एकाग्रता-याददाश्त पर असर
जब कोई इंसान लगातार स्क्रीन स्क्रॉलिंग करता है तो डोपामाइन हार्मोन एक्टिव हो जाता है। वो स्क्रीन स्क्रॉलिंग की स्पीड में दिमाग तक संदेश पहुंचाने लगता है। दिमाग पर संदेशों का ओवर लोड होने लगता है।इसका असर स्क्रीन स्क्रॉलिंग करने वाले व्यक्ति की एकाग्रता और याददाश्त पर पड़ने लगता है। व्यक्ति बेचैन रहने लगता है। उसे थकान महसूस होने लगती है। धीरे-धीरे वो स्टेज भी या जाती है जब व्यक्ति को स्क्रीन स्क्रॉलिंग में मजा नहीं आता लेकिन वो लत के कारण फोन चलता रहता है।