मप्र में सरकार ने तबादलों में पारदर्शिता रखने के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू की है। लेकिन यह प्रक्रिया भी अफसरों की भर्राशाही और लापरवाही का शिकार बन गई है।
भोपाल। मध्यप्रदेश में ऑनलाइन तबादला प्रक्रिया अफसरों की भर्राशाही और लापरवाही का शिकार बन गई है। यही कारण है कि कुछ विभागों में तो इस प्रक्रिया का मजाक उड़ाया जा रहा है तो यदि शिक्षा विभाग की बात करें तो शिक्षकों के मामले भी अटके हुए है। इसके पीछे कारण आधा अधुरा पोर्टल है।
स्कूल शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग का मामला सूर्खियों में
मप्र में सरकार ने तबादलों में पारदर्शिता रखने के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू की है। लेकिन यह प्रक्रिया भी अफसरों की भर्राशाही और लापरवाही का शिकार बन गई है। खासकर स्कूल शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग का मामला सूर्खियों में बना हुआ है। दरअसल, प्रदेश में एक महीने के लिए खोले गए ऑनलाइन तबादला की प्रक्रिया में स्कूल शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग की तबादला प्रक्रिया विवादों में आ गई है।खासतौर पर स्कूल शिक्षा विभाग में ऑनलाइन पोर्टल को लेकर अब तक लगभग दस हजार शिकायतें लोक शिक्षण संचालनालय के पास पहुंच चुकीं हैं। पोर्टल में सैकड़ों स्थान ऐसे हैं जहां पद रिक्त होने की जानकारी स्थानीय प्राचार्य द्वारा पूर्व में ही विभाग को भेजी जा चुकी है, लेकिन संचालनालय के अफसरों ने अब तक इसे पोर्टल पर अपडेट नहीं किया है। इसके चलते शिक्षक तबादलों के लिए ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पा रहे हैं।
लेकिन समाधान नहीं किया जा रहा है
स्कूल शिक्षा विभाग की ऑनलाइन तबादला नीति 4 मई को जारी की गई। पहले 16 मई फिर तिथि बढ़ाकर 21 मई तक आनलाइन आवेदन के लिए डेड लाइन निर्धारित की गई। इस बीच आधे अधूरे पोर्टल के अपडेट न किए जाने से भारी गड़बडिय़ों की शिकायतें राजधानी पहुंच रहीं हैं। सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में मई की चिलचिलाती धूप में महिला शिक्षकाएं राजधानी पहुंचकर डीपीआई के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। वे लिखित में आवेदन तो दे रहीं हैं, लेकिन समाधान नहीं किया जा रहा है। डीपीआई अभी तक दो संशोधन आदेश जारी कर चुका है, लेकिन समाधान कुछ नहीं। पोर्टल पर डेटा अपडेट करने में न तो डीपीआई के तकनीकी स्टाफ की रुचि है, न ही जिलों में पदस्थ डीईओ की। मुख्य रूप से जो समस्याएं सामने आई हैं, उनमें बहुत सारे स्कूलों में शिक्षक रिटायर हो जाने से पद रिक्त होने के बावजूद सैकड़ों स्कूलों में पोर्टल पर पद रिक्त नहीं दिखाया जा रहा है, जिससे आवेदन नहीं किए जा पा रहे हैं।
डीपीआई के अफसर नींद में हैं
प्राचार्य भी चाहते हैं कि उनके यहां शिक्षक आ जाएं और बच्चों की पढ़ाई डिस्टर्ब न हो, लेकिन डीपीआई के अफसर नींद में हैं। दूसरी समस्या शिक्षकों की परिवीक्षा अवधी पूरी होने के बावजूद उन्हें उसकी पात्रता न दिए जाने की है, रिकार्ड अपडेट न होने से पोर्टल पर उन्हें अब भी परिवीक्षा अवधि में माना जा रहा है। ऐसे शिक्षकों के लिए सिर्फ सीएम राइज और मॉडल स्कूलों में ही विकल्प दिया जा रहा है, जबकि पूर्व की कमलनाथ और शिवराज सरकार में भी पूरी तरह समानता दी गई थी। तीसरी समस्या अतिशेष शिक्षकों की है, उनका भी डेटा अपडेट नहीं है। इसके अलावा वर्तमान पदस्थी दिनांक, उच्च पद प्रभार, विषय परिवर्तन को लेकर भी कई तरह की शिकायतें भी शिक्षकों द्वारा लिखित में दी गई हैं। कुछ शिकायतों को लेकर डीपीआई ने एक पत्र भी डीईओ को जारी किया है, लेकिन डीईओ डेटा अपडेट करने में खुद ही अब तक कोई रुचि नहीं लेते रहे हैं। ऐसे में आवेदन के आखिरी दो दिन शेष बचे होने पर सुधार होने की संभावना नहीं है।