रात 11 बजे हैं और आपके फोन की स्क्रीन जलती है। WhatsApp पर एक अनजान नंबर से मैसेज आता है। 'Hi' या शायद कोई लुभावना जॉब ऑफर। आप सोचते हैं कि इस इंसान को आपका नंबर मिला कहां से? हम अक्सर इसे इग्नोर कर देते हैं, लेकिन नवंबर 2025 की एक बड़ी रिसर्च ने इस छोटे से सवाल का जवाब दिया है और जवाब डराने वाला है।
नई दिल्ली। रात 11 बजे हैं और आपके फोन की स्क्रीन जलती है। WhatsApp पर एक अनजान नंबर से मैसेज आता है। ‘Hi’ या शायद कोई लुभावना जॉब ऑफर। आप सोचते हैं कि इस इंसान को आपका नंबर मिला कहां से? हम अक्सर इसे इग्नोर कर देते हैं, लेकिन नवंबर 2025 की एक बड़ी रिसर्च ने इस छोटे से सवाल का जवाब दिया है और जवाब डराने वाला है।
सोचिए दुनिया भर में जितने WhatsApp यूजर्स हैं उन सब का फ़ोन नंबर पब्लिक हो जाए तो क्या होगा? कुछ ऐसा ही ये मामला है। WhatsApp की पूरी मेंबर डायरेक्टरी ऑनलाइन और अनप्रोटेक्टेड काफी समय तक थी। ऑस्ट्रियन रिसर्चर्स का दावा है कि वो 3.5 बिलियन यूजर्स का फोन नंबर और दूसरे प्रोफाइल डेटा डाउनलोड कर सकते थे। अगर देखा जाए तो ये दुनिया का सबसे बड़ा डेटा लीक है।
कैंब्रिज अनालिटिका डेटा ब्रीच किसे याद नहीं है? इसलिए ये कहना सही रहेगा कि मेटा और डेटा ब्रीच का रिश्ता नया नहीं है, तब भी कंपनी ने पल्ला झाड़ा था ये कह कर कि थर्ड पार्टी की तरफ से डेटा लीक हुआ है। हैरानी की बात यहां ये भी है कि 2017 में ही मेटा को इस खामी के बारे में बताया दिया गया था। रिसर्चर्स ने कहा है कि ये डेटा साइबर क्रिमिनल्स काफी समय से यूज़ भी कर रहे होंगे।
इंटरनेट पर इन दिनों एक खबर जंगल की आग की तरह फैली है। ये है WhatsApp Data Breach। दावा है कि दुनिया भर के करीब 350 करोड़ यूजर्स का डेटा खतरे में है। लेकिन जब हमने इसकी गहराई में जाकर जांच की, तो पता चला कि यह कोई मामूली ‘हैक’ नहीं है जहां किसी ने सर्वर को डिफेस किया गया है। यह कहानी है आपकी और हमारी डिजिटल पहचान के ‘पब्लिक’ हो जाने की, और इसमें सबसे बड़ा विलेन कोई हैकर नहीं, बल्कि सिस्टम की एक खामी है।
विएना के खुलासा ने सबको चौंकाया
इस पूरी हलचल की शुरुआत ऑस्ट्रिया Austria से हुई। विएना यूनिवर्सिटी के सिक्योरिटी रिसर्चरों ने हाल ही में एक रिपोर्ट पब्लिश की, जिसने मेटा के हेडक्वार्टर में खलबली मचा दी। रिसर्चरों ने पाया कि WhatsApp के सिस्टम में एक बहुत ही बेसिक, लेकिन खतरनाक खामी थी। इसे तकनीकी भाषा में ‘Contact Discovery Flaw’ कहते हैं। आसान भाषा में समझें तो यह एक ऑटोमेटेड मशीन की तरह है। रिसर्चर्स ने एक स्क्रिप्ट तैयार की जो एक घंटे में करोड़ों रैंडम फोन नंबर्स को WhatsApp के सर्वर प्रिंग कराया और हर बार WhatsApp यूजर्स की फोटो से लेकर ऐक्टिव स्टेटस तक पता चल गया जो इस बात का प्रूफ भी है कि वो नबंर असली है और यूज में है। इस तरह के नंबर्स ज्यादा रेट में ब्लैक मार्केट और डार्क वेब पर बिकते हैं।
Meta की सफाई
WhatsApp का कहना है कि कंपनी पहले से ही सुरक्षा अपग्रेड पर काम कर रही थी और उन्हें कोई सबूत नहीं मिला कि किसी हैकर ने इस खामी का गलत इस्तेमाल किया हो। हालांकि, सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह दावा साबित करना लगभग असंभव है – क्योंकि चोरी हुआ डेटा अक्सर डार्क वेब पर बिना किसी निशान के बिक जाता है।