उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों खूब हलचल मची हुई है। यूपी सरकार की मौजूदा कार्यशैली को लेकर भी तरह तरह की चर्चाएं हो रही हैं। नेता से लेकर मंत्री तक और ब्यूरोक्रेट्स के बीच चल रही खींचतान अब जगजाहिर हो चुकी है। कई मौकों पर सत्ताधारी पार्टी के विधायक, सांसद और मंत्री ब्यूरोक्रेट्स की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए खरीखोटी भी सुना चुके हैं।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों खूब हलचल मची हुई है। यूपी सरकार की मौजूदा कार्यशैली को लेकर भी तरह तरह की चर्चाएं हो रही हैं। नेता से लेकर मंत्री तक और ब्यूरोक्रेट्स के बीच चल रही खींचतान अब जगजाहिर हो चुकी है। कई मौकों पर सत्ताधारी पार्टी के विधायक, सांसद और मंत्री ब्यूरोक्रेट्स की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए खरीखोटी भी सुना चुके हैं। ऐसे में साफ हो गया कि, प्रदेश सरकार को ब्यूरोक्रेट्स ने अपने चंगुल में फंसा लिया है और अपने मन-मुताबिक काम कर रहे हैं। नेता से लेकर मंत्री तक इनके सामने बौने हो गए हैं।
दरअसल, इन दिनों यूपी में मंत्रियों, विधायकों व सांसदों और ब्यूरोक्रेट्स के बीच जमकर घमासान मचा हुआ है। ऐसा लग रहा है कि, विभाग के हर फैसले के पीछे ब्यूरोक्रेट्स का ही हाथ है और वो सरकार को अपने हिसाब से चला रहे हैं। सत्ताधारी पार्टी के मंत्री, विधायक और सांसद उनके आगे बेवस हो गए हैं। इन ब्यूरोक्रेट्स की शिकायत के बाद भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। लिहाजा, नेता से लेकर मंत्री अब इनके आगे बेवस हो गए हैं। चर्चा यह भी है कि योगी सरकार के करीब एक दर्जन मंत्री भी इन ब्यूरोक्रेट्स के अड़ियल रवैये से त्रस्त हैं लेकिन वो खुलकर सामने नहीं आ पा रहे हैं।
विभाग के प्रमुख सचिव की मनमानी से परेशान मंत्री
यही नहीं, प्रदेश सरकार के कई ऐसे मंत्री हैं, जो अपने विभाग के प्रमुख सचिव से काफी परेशान हैं। दरअसल, जनता के द्वारा चुने गए ये प्रतिनिधि जब उनके किसी काम को लेकर प्रमुख सचिव तक पहुंचते हैं तो उसमें भी कोई न कोई अड़ंगा लगा देते हैं, जिसके कारण उनके काम होते नहीं हैं। ऐसे में मंत्री काफी परेशान हैं। शिकायत के बाद भी प्रमुख सचिव उन पर भारी पड़ जाते हैं।
दिनेश खटीक ने लगाया था अधिकारियों पर गंभीर आरोप
उत्तर प्रदेश के मंत्री दिनेश खटीक ने अधिकारियों से परेशान होकर कथित इस्तीफा लिख दिया था। अपने पत्र में उन्होंने साफ लिखा था कि, कोई अधिकारी उनकी सुनता नहीं है। उन्होंने उस दौरान स्थानांतरण सत्र में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था। साथ ही, नामामि गंगे योजना के अंदर भी भ्रष्टाचार की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि, जब मैं कोई शिकायत किसी भी अधिकारी के विरुद्ध करता हूं तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।