चैत्र नवरात्रि में महागौरी की पूजा का विशेष महत्व है। नवरात्रि के आठवें दिन अष्टमी मनई जाती है। इस दिन माता के महागौरी रूप की पूजा अर्चना होती है।
Chaitra Navratri Ashtami 2024: चैत्र नवरात्रि में महागौरी की पूजा का विशेष महत्व है। नवरात्रि के आठवें दिन अष्टमी मनई जाती है। इस दिन माता के महागौरी रूप की पूजा अर्चना होती है। महागौरी को श्वेतांबरधरा (सफेद कपड़े पहने हुए), वृषारूढ़ा (बैल की सवारी), चतुर्भुजी (चार हाथ हैं) और शांभवी (आनंद और खुशी प्रदान करती हैं) के नामों से भी जाना जाता है। देवी महागौरी को देवी पार्वती का 16 वर्षीय अविवाहित रूप माना जाता है। वह पवित्रता, शांति, ज्ञान और तपस्या का प्रतिनिधित्व करती है। ‘गौरी’ का यह भी अर्थ है कि वह गिरि (पर्वत) की पुत्री है। महागौरी सृष्टि की सभी बुरी शक्तियों को पराजित करती हैं।
इस बार चैत्र नवरात्रि में अष्टमी की तिथि 15 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 16 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 23 मिनट तक है। ऐसे में अष्टमी पूजन (Ashtami Puja) 16 अप्रैल को होगी।
नारियल का भोग
आदिशक्ति के आठवें स्वरूप मां महागौरी को नारियल प्रिय है। अष्टमी के दिन मां महागौरी को नारियल का भोग लगाने की परंपरा है। मां को भोग लगाने के लिए आप नारियल की बर्फी भी बना सकते हैं।
माता को मोगरे के फूलों से बनी माला अर्पित करें
माता महागौरी को मोगरा पुष्प अत्यंत प्रिय है और उन्हें लाल और गुलाबी रंग भी प्रिय है। इसलिए हो सके तो माता को मोगरे के फूलों से बनी माला अर्पित करें और पूजा के समय साधक लाल या गुलाबी रंग का वस्त्र धारण करें। इसके बाद माता महागौरी को नारियल का भोग अर्पित करें। फिर दुर्गासप्तशती और माता महागौरी की आरती का पाठ करें।
महागौरी कवच मंत्र (Mahagauri Kavach Mantra)
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥