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सीएम योगी, बोले-विकास प्राधिकरण भवन मानचित्रों के लंबित प्रकरणों का एकमुश्त कराएं निस्तारण

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास प्राधिकरणों में लम्बित भवन मानचित्रों के प्रकरणों की समीक्षा के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि मानचित्र से जुड़े मामलों में बार-बार आपत्तियां लगाया जाना अनुचित है। इसे सरल रूप देते हुए एक ही बार में निस्तारित किया जाना चाहिये। ऐसे जो भी प्रकरण लम्बित हैं, उनका एक समय-सीमा तय करते हुए निस्तारण कर दिया जाए।

By संतोष सिंह 
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लखनऊ: यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास प्राधिकरणों में लम्बित भवन मानचित्रों के प्रकरणों की समीक्षा के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि मानचित्र से जुड़े मामलों में बार-बार आपत्तियां लगाया जाना अनुचित है। इसे सरल रूप देते हुए एक ही बार में निस्तारित किया जाना चाहिये। ऐसे जो भी प्रकरण लम्बित हैं, उनका एक समय-सीमा तय करते हुए निस्तारण कर दिया जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि जिन नगरों में जीआईएस बेस्ड मास्टर प्लान अब तक अप्रूव नहीं हुआ है, उसे वर्तमान माह की समाप्ति से पहले अनुमोदित करा लिया जाए।

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मुख्यमंत्री अपने सरकारी आवास पर आहूत एक उच्चस्तरीय बैठक में आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने विभागीय कार्ययोजना का आकलन करते हुए कहा कि शहरी नियोजन, आवासीय सुरक्षा, अधोसंरचना विकास एवं डिजिटल प्रबन्धन जैसे सभी घटकों को एकीकृत दृष्टिकोण से लागू करना आवश्यक है।

मुख्यमंत्री को मेट्रो परियोजनाओं की प्रगति के सम्बन्ध में अवगत कराया गया कि कानपुर मेट्रो के मोतीझील से कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन तक 6.7 किलोमीटर लम्बे अण्डरग्राउण्ड सेक्शन का निर्माण पूर्ण हो गया है। कॉरीडोर 1 और 2 का कार्य इस वर्ष के अन्त तक पूर्ण कर लिया जाएगा। आगरा मेट्रो के प्रथम कॉरिडोर को भी दिसम्बर, 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है, जबकि द्वितीय कॉरिडोर का कार्य वर्ष 2026 तक निर्धारित किया गया है। इसी क्रम में लखनऊ मेट्रो परियोजना के अन्तर्गत चारबाग से बसंतकुंज तक (11.165 किमी) की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है। यह भी अवगत कराया गया कि भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 के प्रारूप पर 16 से 30 अप्रैल, 2025 तक जनसामान्य से सुझाव आमंत्रित किए गए थे। प्राप्त सुझावों के आधार पर इस उपविधि को अंतिम रूप में दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के सीमा विस्तार की आवश्कता जताई। साथ ही, जेपीएनआईसी को यथाशीघ्र लखनऊ विकास प्राधिकरण को हस्तांतरित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने लखनऊ में इण्टरनेशनल एक्जीबिशन-कम-कन्वेंशन सेंटर परियोजना की समीक्षा करते हुए निर्देश दिये कि 900 करोड़ रुपये की लागत से 32.50 एकड़ भूमि पर विकसित होने वाले इस विश्वस्तरीय कन्वेंशन सेंटर को अधिकतम 02 वर्ष में पूरा करा लिया जाए। यह कन्वेंशन सेंटर नए लखनऊ की पहचान बनेगा।

मुख्यमंत्री यूपी-एससीआर की अद्यतन स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा कि यह परियोजना लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, उन्नाव, रायबरेली और बाराबंकी जनपदों को समाहित करती है, जिसका कुल क्षेत्रफल 27,826 वर्ग किमी है। इसके डीपीआर की प्रक्रिया में अब विलम्ब न हो।

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बैठक में विभाग की आगामी तीन माह की कार्ययोजना पर भी चर्चा हुई। इसमें उत्तर प्रदेश टाउन एण्ड कण्ट्री प्लानिंग अधिनियम-2025, लैण्ड पूलिंग पॉलिसी-2025 और भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 जैसे महत्वपूर्ण पॉलिसी को लागू करने की प्रक्रिया शामिल है। इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति के अंतर्गत क्रियाशील परियोजनाओं को पूर्ण कराए जाने हेतु संशोधित गाइडलाइन भी शीघ्र ही जारी की जाएगी।

मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि मुख्यमंत्री शहरी विस्तार/नए शहर प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत अनुमोदित परियोजनाओं को जून 2025 से दिसम्बर 2025 तक चरणबद्ध रूप से लॉन्च किया जाएगा। झांसी, बरेली, अलीगढ़, सहारनपुर, आगरा (ककुआ), कानपुर (न्यू कानपुर सिटी योजना), मथुरा (ट्रांसपोर्ट नगर), मुरादाबाद (डिडौसी), बुलंदशहर, गाज़ियाबाद, मेरठ और लखनऊ इसमें शामिल हैं। मुख्यमंत्री जी ने सभी परियोजनाओं की समयबद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जीआईएस आधारित महायोजना संरचना के अंतर्गत प्रदेश के 59 नगरों की महायोजनाएं तैयार की जा रही हैं, जिनमें से 42 को अनुमोदन प्राप्त हो चुका है। चार महायोजनाओं (झांसी, मैनपुरी, फर्रुखाबाद-फतेहगढ़ एवं बहराइच) के अनुमोदन की प्रक्रिया इसी माह में पूरी की जाए।

यूपी आवास ऐप और रेरा पोर्टल को और अधिक सुगम एवं पारदर्शी बनाए जाने की आवश्यकता

मुख्यमंत्री ने निजी निवेश को प्रोत्साहित करने हेतु पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल आधारित परियोजनाओं को प्राथमिकता देने, प्रवासी श्रमिकों के लिए विशेष आवासीय योजनाएं संचालित करने और ग्रीन बिलिं्डग प्रमाणीकरण, सोलर रूफटॉप सिस्टम, रेनवॉटर हार्वेसिं्टग एवं अपशिष्ट प्रबंधन को अनिवार्य शहरी मानक के रूप में लागू करने के निर्देश दिए। उन्होंने यूपी आवास ऐप और रेरा पोर्टल को और अधिक सुगम एवं पारदर्शी बनाए जाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

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