उ०प्र० आवास एवं विकास परिषद के अधिशासी अभियन्ता धीरेन्द्र चंद्रा का कारनामा उजागर हुआ है। अधिशासी अभियन्ता अपने चहेती फर्मों से सांठगांठ कर करोड़ों रुपयों का बंदरबांट कर रहा है। अब अधिशासी अभियन्ता के कारनामे की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हुई है। शिकायतकर्ता ने मामले में अधिशासी अभियन्ता के खिलाफ जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है।
लखनऊ। उ०प्र० आवास एवं विकास परिषद के अधिशासी अभियन्ता धीरेन्द्र चंद्रा का कारनामा उजागर हुआ है। अधिशासी अभियन्ता अपने चहेती फर्मों से सांठगांठ कर करोड़ों रुपयों का बंदरबांट कर रहा है। अब अधिशासी अभियन्ता के कारनामे की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हुई है। शिकायतकर्ता ने मामले में अधिशासी अभियन्ता के खिलाफ जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है।
अधिशासी अभियन्ता धीरेन्द्र चंद्रा की शिकायत अमित उपाध्याय ने मुख्यमंत्री और वित्त नियंत्रक, उ०प्र० आवास एवं विकास परिषद से की गयी है। इसमें आरोप लगाया गया है कि, विद्युत खण्ड-1 के अधिशासी अभियन्ता धीरेन्द्र चंद्रा द्वारा निविदाओं को पूल कराकर खुलेआम भ्रष्टाचार किया जा रहा है। अपनी चहेती फर्मों से सांठगांठ कर कर धन की बंदरबांट व सरकार के राजस्व की करोड़ों रूपये की हानि पहुंचाई जा रही है।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि, अधिशासी अभियन्ता धीरेन्द्र चंद्रा के भ्रष्टाचार की सूचना दी गयी थी। रामनगर बाराबंकी व वीरसिंहपुर सुल्तानपुर की विद्युत लाइन की निविदा में फर्म ईगल कान्स्ट्रक्शन ने 5.25 प्रतिशत निम्न डाल कर सर्व निम्न हो गयी व फर्म प्रीती इलेक्ट्रिक वर्क्स 1. 75 प्रतिशत निम्न डालकर सेकेण्ड लोवेस्ट है एवं गोपीगंज भदोहीं के टेण्डर में प्रीती इलेक्ट्रिक वर्क्स द्वारा 5.40 निम्न डालकर लोवेस्ट हो गया व ईगल कास्ट्रक्शन के द्वारा 2.85 निम्न डालकर सेकेण्ड लोवेस्ट हो गया। इस प्रकार तीनों टेण्डर 2 फर्मों में बांट दिया गया। प्रथम बार में मात्र दो टेण्डर पर टेण्डर फाइनल किया गया जो कि नियम सम्मत नहीं है व शेष निविदाओं को मनमाना निरस्त कर दिया गया।
आरोप है कि, धीरेन्द्र चन्द्रा सहायक अभियंता है एवं धन बल से प्रभारी अधिशासी अभियंता पदासीन है। इसके साथ ही तीन वर्षों से ज्यादा विद्युत खण्ड-प्रथम, लखनऊ में बैठकर करोड़ों रुपया अवैध धनार्जन किए हैं। इनकी आय से अधिक सम्पत्ति की जांच कराई जाए और जांच के दौरान इस पद से अन्य जिले में स्थानान्तरित किया जाए ताकि जांच प्रभावित न करा सके। इसके साथ ही उपरोक्त लूट खसोट की योजनाबद्ध उपरोक्त निविदा निरस्त की जाए।