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नियमों की अनदेखी कर चहेते डॉ. मदन लाल भट्ट को बनाया गया कल्याण सिंह कैंसर संस्थान का निदेशक, स्वास्थ्य मंत्री से लेकर प्रमुख सचिव पर उठे सवाल

उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा इन दिनों अपनी कार्यप्रणाली को लेकर चर्चाओं में बना हुआ है। नियमों की अनदेखी कर यहां पर हर काम किए जा रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के मंत्री, प्रमुख सचिव समेत अन्य अधिकारियों पर सवाल उठने लगा है। अब ताजा मामला चक गंजरिया स्थित कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में निदेशक की चयन प्रक्रिया का है।

By टीम पर्दाफाश 
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा इन दिनों अपनी कार्यप्रणाली को लेकर चर्चाओं में बना हुआ है। नियमों की अनदेखी कर यहां पर हर काम किए जा रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के मंत्री ब्रजेश पाठक, प्रमुख सचिव पार्थसारथी सेन, चिकित्सा शिक्षा विभाग की महानिदेशक किंजल सिंह समेत अन्य अधिकारियों पर सवाल उठने लगा है। अब ताजा मामला चक गंजरिया स्थित कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में निदेशक की चयन प्रक्रिया का है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी नियमों को दरकिनार कर डॉक्टर मदन लाल भट्ट (एमएलबी भट्ट) को निदेशक बना दिया है। इनको निदेशक बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सभी नियमों को बदल दिया। सूत्रों की माने तो इनको निदेशक बनाने के लिए एक बड़ा खेल किया गया है।

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यही नहीं डॉक्टर मदन लाल भट्ट के खिलाफ कई शिकायतें भी हुईं थीं। उनके खिलाफ जांच भी चल रही है। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग का डॉक्टर मदन लाल भट्ट से मोह नहीं छूट रहा है। ऐसे में अब सवाल उठता है कि, आखिर स्वास्थ्य विभाग की ऐसी क्या मजबूरी है कि, डॉक्टर मदन लाल भट्ट को कल्याण सिंह कैंसर संस्थान का निदेशक बनाया गया है।

सूत्रों की माने तो, डॉक्टर मदन लाल भट्ट को निदेशक बनाया जाना पहले से ही तय था। पर्दाफाश न्यूज 31 दिसम्बर 2024 को ही खबर प्रकाशित किया था, जिसमें बताया था कि, डॉक्टर मदन लाल भट्ट (एमएलबी भट्ट) को कल्याण सिंह कैंसर संस्थान का निदेशक नियमों को दरकिनार कर बनाया जा रहा है। सूत्रों की माने तो इसके पीछे एक बड़ी डील भी हुई है। इसके बाद इन्हें निदेशक की कुर्सी सौंपी गई है।

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चयन प्रक्रिया को लेकर हुई थी शिकायत
सामाजिक कार्यकर्ता व हाईकोर्ट में अधिवक्ता विनोद पांडेय ने भर्ती संबंधी पहली जुलाई 2024 के विज्ञापन की खामियों को लेकर शिकायत की थी। जिसमें कहा गया था कि पीजीआई, लोहिया, केजीएमयू समेत दूसरे मेडिकल संस्थानों में निदेशक व कुलपति की आयु सीमा निर्धारित की जाती है। लेकिन कैंसर संस्थान के विज्ञापन में अधिकतम उम्र सीमा तय नहीं की गई। इसका जिक्र विज्ञापन में नहीं किया गया। यह संस्थान के बाय-लॉस के नियम का उल्लंघन है। सिर्फ मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के तहत आवेदन मांगे गए थे।

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एक बार पहले रद्द हुई थी भर्ती प्रक्रिया
कैंसर संस्थान में निदेशक के लिए इसके पहले लोकसभा चुनाव आचार संहिता के दौरान ही 17 मार्च को आनन-फानन में साक्षात्कार करा दिए गए थे, जिसमें नियमों की जमकर अनदेखी की गयी थी। इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंची तो उन्होंने भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी थी। साथ ही नए सिरे से विज्ञापन निकालने के निर्देश दिए थे।

 

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