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‘भारत को बेहतर फुटबॉलर तैयार करने के लिए अच्छे कोचों की जरूरत…’ महान खिलाड़ी लोथर मैथॉस ने दी सलाह

Lothar Matthäus's opinion on Indian football: भारत में फुटबॉल की तुलना में क्रिकेट को पसंद करने वालों की संख्या काफी ज्यादा इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन दुनियाभर में फुटबॉल को सबसे पसंदीदा खेल माना जाता रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल रहा है कि भारत जैसे बड़ी जनसंख्या वाले देश में फुटबॉल क्यों नहीं पनप पाया और आखिर देश फुटबॉल में इतना पीछे क्यों है? इस पर जर्मनी के महान फुटबॉलर लोथर मैथॉस ने अपनी राय दी है।

By Abhimanyu 
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Lothar Matthäus’s opinion on Indian football: भारत में फुटबॉल की तुलना में क्रिकेट को पसंद करने वालों की संख्या काफी ज्यादा इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन दुनियाभर में फुटबॉल को सबसे पसंदीदा खेल माना जाता रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल रहा है कि भारत जैसे बड़ी जनसंख्या वाले देश में फुटबॉल क्यों नहीं पनप पाया और आखिर देश फुटबॉल में इतना पीछे क्यों है? इस पर जर्मनी के महान फुटबॉलर लोथर मैथॉस ने अपनी राय दी है।

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जर्मनी की 1990 वर्ल्ड कप विजेता टीम के सदस्य लोथर मैथॉस ने रविवार को कोलकाता में पत्रकारों से कहा कि केवल सर्वश्रेष्ठ कोच ही अच्छे फुटबॉलर तैयार कर सकते हैं और भारत को अपने कोचों की ट्रेनिंग के लिए फुटबॉल के दिग्गजों और पूर्व खिलाड़ियों की सर्विस लेने की जरूरत है। मैथॉस ने कहा, “आपको अच्छे फुटबॉलर तभी मिलते हैं जब वे सर्वश्रेष्ठ कोचों से सीखते हैं। भारत को बेहतर फुटबॉलर तैयार करने के लिए अच्छे कोचों की जरूरत है।”

उन्होंने आगे कहा, “एक अच्छा शिक्षक एक अच्छा छात्र तैयार करता है और अगर शिक्षक या प्रोफेसर खराब होते हैं तो अच्छे छात्र नहीं मिलते हैं। भारत को अपने कोचों को सिखाने के लिए अपने जमाने के दिग्गज खिलाड़ियों और प्रतिष्ठित कोचों की सर्विस लेने की जरूरत है। इसके बाद यह कोच नई जनरेशन के खिलाड़ियों की मदद कर सकते हैं। भारत को इसकी शुरुआत छोटे स्तर से करनी होगी।”

बंगाल सुपर लीग के ब्रांड एंबेसडर मैथॉस ने कहा, “केप वर्डे, जिसकी जनसंख्या बहुत कम है, लेकिन वह वर्ल्ड कप खेलेगा। भारत दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश होने के बावजूद वर्ल्ड कप में नहीं खेलता। ऐसा नहीं होना चाहिए।” उन्होंने कहा, “भारत को एक ऐसा सिस्टम ढूंढना होगा, जिसमें फुटबॉल महासंघ, सरकार, क्लब और अकादमियां एक ही लक्ष्य के लिए काम करें, जैसा कि आपने क्रिकेट, हॉकी या शतरंज में किया है, जिनमें आपने विश्व चैंपियन तैयार किए हैं।”

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