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जस्टिस बीआर गवई होंगे देश के 51वें CJI, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने केंद्र को भेजी सिफारिश

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज जस्टिस भूषण आर गवई (Judge Justice Bhushan R Gavai) के नाम का प्रस्ताव देश के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) के तौर पर कानून मंत्रालय को भेजा गया है। यह नाम मौजूदा मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना (Chief Justice Sanjiv Khanna) ने भेजा है, जिनका कार्यकाल 13 मई को खत्म हो रहा है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज जस्टिस भूषण आर गवई (Judge Justice Bhushan R Gavai) के नाम का प्रस्ताव देश के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) के तौर पर कानून मंत्रालय को भेजा गया है। यह नाम मौजूदा मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना (Chief Justice Sanjiv Khanna) ने भेजा है, जिनका कार्यकाल 13 मई को खत्म हो रहा है।

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बता दें कि परंपरा के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के मौजूदा चीफ जस्टिस ही अपने उत्तराधिकारी का नाम सरकार को भेजते हैं। इस बार भी यही प्रक्रिया अपनाई गई है। कानून मंत्रालय ने औपचारिक तौर पर जस्टिस खन्ना से उनके उत्तराधिकारी का नाम पूछा था, जिसके जवाब में उन्होंने जस्टिस गवई का नाम आगे बढ़ाया।

अगर राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) से मंजूरी मिलती है तो जस्टिस भूषण आर गवई (Judge Justice Bhushan R Gavai)  देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश (51st CJI) बनेंगे। जस्टिस बी.आर. गवई (Justice BR Gawai) 14 मई को देश के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) पद की शपथ ले सकते हैं। हालांकि उनका कार्यकाल केवल छह महीने का होगा क्योंकि वे नवंबर 2025 में रिटायर होने वाले हैं।

जस्टिस गवई को 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  का जज नियुक्त किया गया था। उनका जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। वे दिवंगत आर.एस. गवई के बेटे हैं, जो एक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और बिहार व केरल के राज्यपाल रह चुके हैं।

जस्टिस गवई ने अपने न्यायिक करियर की शुरुआत 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज के रूप में की थी। 12 नवंबर 2005 को वे स्थायी जज बने। उन्होंने 15 साल से ज़्यादा समय तक मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद और पणजी में विभिन्न पीठों पर काम किया। एक खास बात यह भी है कि वे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  में नियुक्त होने वाले केवल दूसरे अनुसूचित जाति (SC) जज हैं। इससे पहले जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन 2010 में सेवानिवृत्त हुए थे।

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