सनातन धर्म में भगवान शिव की पूजा में उनके गणों की भी विधिवत पूजा की जाती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार काल भैरव को रूद्र अवतार माना गया है।
Magh Kalashtami 2024 : सनातन धर्म में भगवान शिव की पूजा में उनके गणों की भी विधिवत पूजा की जाती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार काल भैरव को रूद्र अवतार माना गया है। ये भगवान शिव का स्वरूप ही हैं। मान्यता है कि भगवान काल भैरव शिव के सबसे उग्र रूप हैं परन्तु ये अपने भक्तों की सदैव रक्षा करते हैं और बुरे कर्म करने वालों को दंड देते हैं। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है। इस दिन रूद्र अवतार काल भैरव की पूजा करते हैं। काल भैरव की पूजा करने से हर प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
पंचांग के अनुसार माघ मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 2 फरवरी को शाम 4 बजकर 2 मिनट पर होगी और इसकी समाप्ति अगले दिन यानी 3 फरवरी को शाम 5 बजकर 20 मिनट पर होगी।
कालाष्टमी के दिन लोग कठोर उपवास रखते हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ भगवान काल भैरव की पूजा का विधान है। कालाष्टमी के दिन जो भक्त श्रद्धा पूर्वक व्रत करते हैं उन्हें काल भैरव सुख -समृद्धि प्रदान करते हैं और कुंडली में आए राहु दोष से मुक्ति भी मिलती है। इसके साथ ही सभी रोगों से छुटकारा मिलता है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।