सनातन धर्म में भगवान शिव की पूजा का बहुत है। भोलेनाथ को काल भैरव के रूप में पूजा जाता है। काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए मासिक कालाष्टमी व्रत रख जाता है।
Masik Kalashtami 2024 : सनातन धर्म में भगवान शिव की पूजा का बहुत है। भोलेनाथ को काल भैरव के रूप में पूजा जाता है। काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए मासिक कालाष्टमी व्रत रख जाता है। हर माह की के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है और भगवान शिव के उग्र स्वरूप काल भैरव की पूजा अर्चना की जाती है। भगवान शिव के काल भैरव रूप को तंत्र मंत्र का देवता माना जाता है। ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 30 मई को होगी और इसी दिन कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा। आइए जानते हैं ज्येष्ठ माह में कालाष्टमी व्रत की तिथि, पूजा विधि और महत्व।
कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा के दौरान शिव चालीसा, शिव स्त्रोत का पाठ और शिव मंत्रों का जाप करते रहे। भगवान शिव की आरती करें। काले भैरव की पूजा के लिए रात का समय यानी निशा काल उपयुक्त माना जाता है इसलिए निशा काल दोबारा विधि-विधान के साथ भगवान भैरव की पूजा करें।
इन मंत्रों का जाप करें
ॐ कालभैरवाय नम:।।
ॐ भयहरणं च भैरव:।।
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।।
कालाष्टमी व्रत का महत्व
कालाष्टमी का व्रत रखने और काल भैरव की उपासना करने से जीवन से कष्टों का निवारण हो जाता है और सुख समृद्धि बढ़ती है।