उत्तर प्रदेश के वाराणसी में डीएवी इंटर कॉलेज में यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट की बायोलॉजी की प्रायोगिक परीक्षा के दौरान हैरान करने वाला मामला सामने आया। यहां पुलिस ने तीन फर्जी एग्जामिनर को गिरफ्तार किया गया है।
वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में डीएवी इंटर कॉलेज में यूपी बोर्ड ( UP Board ) की इंटरमीडिएट की बायोलॉजी की प्रायोगिक परीक्षा (Biology practical exam) के दौरान हैरान करने वाला मामला सामने आया। यहां पुलिस ने तीन फर्जी एग्जामिनर (fake examiner) को गिरफ्तार किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वाराणसी के कोतवाली सर्कल की एसीपी प्रज्ञा पाठक ने बताया कि परीक्षा के दौरान जब मौखिक परीक्षा वाइवा चल रही थी, तभी परीक्षार्थियों को एग्जामिनर द्वारा पूछे गए उलझाऊ और संदिग्ध सवालों पर शक हुआ।
छात्रों ने तुरंत कॉलेज के प्रिंसिपल को इस बारे में बताया। जब प्रिसिंपल ने संबंधित एग्जामिनर से पूछताछ की, तो मामला संदिग्ध लगने पर पुलिस को बुलाया गया। जांच में पता चला कि परीक्षा लेने वाला व्यक्ति असली एग्जामिनर नहीं, बल्कि कोई फर्जी व्यक्ति था। वह अपने दो साथियों के साथ मिलकर यह कृत्य कर रहा था।
मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले की जांच की तो पता चला कि असली परीक्षक राजीव कुमार शर्मा को परीक्षा लेने आना था, लेकिन उनकी जगह अजीत यादव नाम का व्यक्ति परीक्षा लेने पहुंचा।
जांच में यह भी सामने आया कि अजीत यादव अकेला नहीं था, बल्कि उसके साथ ध्रुव यादल और अमरेन्द्र तिवारी भी थे। पुलिस ने इन तीनों को गिरफ्तार कर लिया है। उनके पास से एक कार, कुछ सर्टिफिकेट और उत्तर पुस्तिकाएं बरामद की। जांच में पता चला कि इस पूरे फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड बलिया के रहने वाले अमरेन्द्र तिवारी था।
जो बलिया के एक कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। उसने ही यह साजिश रची और परीक्षा दिलाने की पूरी योजना बनाई। पकड़े जाने पर आरोपियों ने पुलिस को बताया कि असली परीक्षक राजीव कुमार शर्मा की तबीयत खराब थी, इसलिए उके कहने पर वे परीक्षा लेने आए थे।
पुलिस जांच में यह भी सामने आय़ा कि आरोपियों ने राजीव कुमार शर्मा के नाम से एक पहचान पत्र तैयार किया, लेकिन उसमें फोटो अजीत यादव की लगाई गई थी। इसी पहचान पत्र के आधार पर वे कॉलेज में परीक्षा लेने पहुंचे थे। डीएवी कालेज के प्रिसिंपल द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर पुलिस तीनों आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है।