संदेशखाली मामले (Sandeshkhali Case) में कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) की ममता सरकार (Mamata Government) पर सख्ती दिखाते हुए कहा कि बाहुबली टीएमसी नेता शाहजहां शेख (TMC Leader Shahjahan Sheikh) की तुरंत गिरफ्तारी होनी चाहिए।
नई दिल्ली। संदेशखाली मामले (Sandeshkhali Case) में कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) की ममता सरकार (Mamata Government) पर सख्ती दिखाते हुए कहा कि बाहुबली टीएमसी नेता शाहजहां शेख (TMC Leader Shahjahan Sheikh) की तुरंत गिरफ्तारी होनी चाहिए। बता दें कि संदेशखाली की महिलाओं का आरोप लगाया है कि शाहजहां शेख (Shahjahan Sheikh और उसके गुर्गे उनका शोषण करते थे और जबरन जमीन हड़प लेते थे। शाहजहां शेख (Shahjahan Sheikh) के ठिकाने पर पहुंची ईडी (ED) की टीम पर हुए हमले के बाद से ही वह फरार है। बता दें कि शाहजहां शेख (Shahjahan Sheikhकी ओर से फाइल याचिका में गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की गई थी जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने संदेशखाली मामले (Sandeshkhali Case) में संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की। वहीं जज ने टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी (TMC MP Abhishek Banerjee) और बंगाल के अन्य दो मंत्रियों की टिप्पणी पर भी सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि कोर्ट ने कभी शाहजहां शेख की गिरफ्तारी पर रोक नहीं लगाई है। उसकी गिरफ्तारी होनी चाहिए। दरअसल अभिषेक बनर्जी (Abhishek Banerjee) ने रविवार को कहा था कि फरार नेता शाहजहां शेख की गिरफ्तारी में देरी न्यायपालिका की वजह से हो रही है। उन्होंने कहा था कि शाहजहां शेख को न्यायपालिका के जरिए सुरक्षित किया जा रहा है ताकि संदेशखाली का मुद्दा बना रहे। उन्होंने कहा कि जब टीएमसी नेताओं पार्थ चटर्जी (TMC leaders Partha Chatterjee) और ज्योतिप्रिय मल्लिक को गिरफ्तार कर लिया गया तो आखिर शाहजहां शेख (Sandeshkhali Case) कौन है? उसको तो तुरंत गिरफ्तार कर लेना चाहिए था।
बता दें कि राशन घोटाले के मामले में ईडी (ED) की टीम शाहजहां शेख (TMC Leader Shahjahan Sheikh) के ठिकानों पर छापेमारी करने पहुंची थी। इसके बाद शाहजहां के सहयोगियों ने ईडी (ED) के अफसरों पर हमला कर दिया। इसके बाद कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने ईडी (ED) और राज्य पुलिस के अधिकारियों को मिलाकर एक जांच दल बनाने को कहा था। ईडी (ED) ने कुछ दिनों बाद इसपर रोक लगाने की मांग की तो हाई कोर्ट ने इसे मंजूर कर लिया। इसके बाद ईडी (ED) और राज्य पुलिस दोनों ने ही स्वतंत्र जांच की अनुमति मांगी। खंडपीठ ने 7 फरवरी को जारी एक आदेश में राज्य पुलिस की जांच पर रोक लगा दी थी।