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नक्सल प्रभावित जिले बालाघाट, मण्डला एवं डिण्डोरी के लिए विशेष सहयोगी दस्ते के 850 पद स्वीकृत

पचमढ़ी नगर का नजूल क्षेत्र जिसका रकबा 395.931 हेक्टेयर है, जो साडा के प्रशासनिक नियंत्रण में है, को पचमढी अभयारण्य की सीमा से बाहर करने का निर्णय लिया गया है।

By Shital Kumar 
Updated Date

भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में पचमढ़ी नगर की नजूल भूमि को अभयारण्य की सीमा से पृथक किये जाने का निर्णय लिया गया।

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पचमढ़ी नगर का नजूल क्षेत्र जिसका रकबा 395.931 हेक्टेयर है, जो साडा के प्रशासनिक नियंत्रण में है, को पचमढी अभयारण्य की सीमा से बाहर करने का निर्णय लिया गया है। इसके पूर्व अधिसूचना 22 दिसम्बर 2017 द्वारा पचमढ़ी अभयारण्य की परिधि पर स्थित 11 ग्रामों को अभयारण्य से बाहर किया और कुछ ग्रामों को इन्क्लोजर में रखा गया है।

मंत्रि-परिषद द्वारा पैरा-ओलम्पिक में पदक विजेता खिलाड़ियों को 50-50 लाख रूपये की अतिरिक्त राशि दिये जाने का अनुमोदन दिया गया। मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रियान्वयन के लिए पैरा-ओलम्पिक-2024 में कांस्य पदक विजेता खिलाडियों को 50 लाख रूपये की अतिरिक्त राशि दी जाएगी, जिससे कुल सम्मान राशि 1 करोड़ रूपये हो जाएगी।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री द्वारा पैरा-ओलम्पिक खिलाडी सुश्री रूबिना फ्रांसिस और  कपिल परमार को पैरा-ओलम्पिक खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर 1 करोड़ रूपये की सम्मान राशि देने की घोषणा की थी। पेरिस, फ्रांस में आयोजित पैरा ओलम्पिक खेल, 28 अगस्त से 8 सितंबर 2024 में म.प्र. की खिलाडी सुश्री रूबिना फ्रांसिस ने शूटिंग खेल में कांस्य पदक एवं श्री कपिल परमार ने ब्लाइंड जुडो खेल में कांस्य पदक अर्जित किया था।

मंत्रि-परिषद ने नक्सल प्रभावित जिले बालाघाट, मण्डला एवं डिण्डोरी के लिए विशेष सह‌योगी दस्ते के लिये एक वर्ष के लिए 850 पदों की स्वीकृति प्रदान की है। मंत्रि-परिषद द्वारा पेंशन प्रकरणों के निराकरण के लिए “राज्य केंद्रीयकृत पेंशन प्रोसेसिंग सेल” का गठन करने के निर्णय को स्वीकृति दी गई। राज्य केंद्रीयकृत पेंशन प्रोसेसिंग सेल को पेंशन प्रकरणों के निराकरण से संबंधित समस्त प्रक्रिया के लिए अधिकृत किया जायेगा। संभागीय और जिला स्तर के कार्यालयों तथा सेवानिवृत्त शासकीय सेवकों की सुविधा के लिए अस्थायी रूप से 2 वर्ष के लिए वर्तमान संभागीय और जिला पेंशन कार्यालयों को पेंशन समाधान केन्द्र के रूप में सीमित संरचना के साथ रखा जायेगा। पदों का युक्तियुक्तकरण किया जायेगा। इससे राज्य शासन पर अनावर्ती व्यय भार 5 करोड़ रूपये होगा।

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