प्रेगनेंसी से बचने के लिए अधिकतर महिलाएं गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन करती है। ऐसे में चिड़चिड़ापन, स्ट्रेस या इमोशनल उतार चढ़ाव बेहद आम समस्या है। अधिकतर महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियां लेने के बाद मूड स्विंग्स होने लगते है। एक छोटी सी असुविधा भी आपको परेशान कर देती है।
प्रेगनेंसी से बचने के लिए अधिकतर महिलाएं गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन करती है। ऐसे में चिड़चिड़ापन, स्ट्रेस या इमोशनल उतार चढ़ाव बेहद आम समस्या है। अधिकतर महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियां लेने के बाद मूड स्विंग्स होने लगते है। एक छोटी सी असुविधा भी आपको परेशान कर देती है। कई बार आपको सैड या दुखी महसूस होता है तो वहीं अगले पर सबको अच्छा और खुश होने लगेंगी।
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार गर्भनिरोधक गोलियां फर्टिलिटी वाले हार्मोन को बैलेंस करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। लेकिन ये वही हार्मोन दिमाग में कुछ केमिकल रिएक्श भी करते हैं जिसके कारण इसे लेने वाले लोग अक्सर मूड स्विंग की परेशानी से गुजरते हैं।
दरअसल, हर गर्भनिरोधक गोलियां खाने से मूड स्विंग जैसी समस्या हो यह जरूरी नहीं। कुछ खास तरह की स्थिति में मूड स्विंग जैसी स्थिति होती है।गर्भनिरोधक गोलियां दो तरह की होती हैं। एक को संबंध बनाने के तुरंत बाद लिया जाता है और दूसरी का सेवन मासिक अनुसूचि के हिसाब से नियमित रूप से किया जाता है।
संबंध बनाने के तुरंत बाद ली जाने वाली गर्भनिरोधक गोलियां भी दो प्रकार की होती हैं। एक गोली को तो 24 घंटे के अंदर लेना होता है और दूसरी को 72 घंटे के अंदर लिया जा सकता है।मासिक चक्र के हिसाब से जो गोलियां ली जाती हैं, ये भी दो प्रकार की होती हैं।
एक होती है कंबाइंड गोली और दूसरी होती है मिनी गोली.कंबाइंड गोली उसे कहा जाता है, जिसमें प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हॉर्मोन दोनों होते हैं। जबकि मिनी गोली उसे कहा जाता है जिसमें सिर्फ प्रोजेस्टेरोन होता है।सिर्फ प्रोजेस्टेरोन वाली गोली या मिनी गोली उन महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है, जो बच्चे को स्तनपान करा रही होती हैं।
क्योंकि उन्हें एस्ट्रोजेन हॉर्मोन नहीं दिया जा सकता।आप डॉक्टर की सलाह के बाद अपनी सुविधा के अनुसार कोई भी गोली ले सकती हैं। इनकी डोज का आपको खास ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि सही मात्रा में लेने पर इन गोलियों के फायदें हैं तो गलत मात्रा में लेने पर अपने नुकसान भी हैं।