Bangalore Stampede Case: कर्नाटक हाईकोर्ट ने चिन्नास्वामी स्टेडियम भगदड़ मामले के सभी चार आरोपियों को जमानत दे दी है। जिसमें आरसीबी मार्केटिंग हेड निखिल सोसले के साथ डीएनए एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स के तीन अधिकारियों- निदेशक व उपाध्यक्ष सुनील मैथ्यू, प्रबंधक किरण कुमार और टिकट अधिकारी शमंत माविनाकेरे शामिल हैं। हालांकि, कोर्ट ने सभी आरोपियों को अपने पासपोर्ट जमा कराने का निर्देश दिया है। यानी वे बिना इजाजत के देश नहीं छोड़ सकते हैं।
Bangalore Stampede Case: कर्नाटक हाईकोर्ट ने चिन्नास्वामी स्टेडियम भगदड़ मामले के सभी चार आरोपियों को जमानत दे दी है। जिसमें आरसीबी मार्केटिंग हेड निखिल सोसले के साथ डीएनए एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स के तीन अधिकारियों- निदेशक व उपाध्यक्ष सुनील मैथ्यू, प्रबंधक किरण कुमार और टिकट अधिकारी शमंत माविनाकेरे शामिल हैं। हालांकि, कोर्ट ने सभी आरोपियों को अपने पासपोर्ट जमा कराने का निर्देश दिया है। यानी वे बिना इजाजत के देश नहीं छोड़ सकते हैं।
दरअसल, 4 जून को आरसीबी की विक्ट्री परेड के दौरान चिन्नास्वामी स्टेडियम भगदड़ की घटना हुई थी। इस हादसे में 11 लोगों की जान चली गयी थी, जबकि 40 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। वहीं, घटना के अगले दिन आरसीबी, केएससीए और डीएनए के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की गयी थी, जबकि 6 जून को आरसीबी के मार्केटिंग हेड निखिल सोसले और डीएनए के तीनों अधिकारियों- निदेशक व उपाध्यक्ष सुनील मैथ्यू, प्रबंधक किरण कुमार और टिकट अधिकारी शमंत माविनाकेरे को गिरफ्तार कर लिया गया था। इस मामले गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सभी आरोपियों को अंतरिम जमानत दे दी है। जस्टिस एसआर कृष्णकुमार की अध्यक्षता वाली बेंच ने अंतरिम राहत दी।
सोसले और अन्य ने अपनी गिरफ़्तारियों की वैधता को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी और गंभीर प्रक्रियागत चूक का आरोप लगाया था। सोमवार को इस मामले की सुनवाई शुरू हुई। उस समय, कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोसले को “अंतरिम राहत” प्रदान करने के खिलाफ राज्य सरकार के रुख पर आपत्ति जताई थी। वहीं, न्यायमूर्ति कृष्णकुमार ने बुधवार (11 जून) को चारों द्वारा दायर अंतरिम जमानत याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली थी और फैसले को सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को हाईकोर्ट ने जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया।
इससे पहले बुधवार को राज्य की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने अंतरिम राहत दिए जाने के खिलाफ तर्क दिया और आरसीबी तथा उसके भागीदारों के खिलाफ कई आरोप लगाए। राज्य सरकार ने बीसीसीआई को भी दोषी ठहराया और तर्क दिया कि आयोजन के लिए सुरक्षा, गेट और टिकट प्रबंधन को लेकर आरसीबी और बीसीसीआई के बीच एक समझौता हुआ था। महाधिवक्ता ने इस बात पर जोर दिया कि उस समझौते की शर्तों के तहत, गेट नियंत्रण, टिकटिंग और सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह से आरसीबी की थी।