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जीएसटी ट्रिब्यूनल में राजभाषा हिन्दी को मान्यता नहीं

जीएसटी ट्रिब्यूनल में राजभाषा हिंदी को अमान्य कर दिया गया है। आदेश जारी किया गया है कि ट्रिब्यूनल में आने वाले प्रकरणों में दस्तावेज सिर्फ अंग्रेजी में ही स्वीकार होंगे।

By Shital Kumar 
Updated Date

इंदौर। भले ही हिन्दी को देश में राजभाषा का दर्जा दिया गया हो लेकिन बावजूद इसके जीएसटी ट्रिब्यूनल में राजभाषा हिन्दी को मान्य नहीं किया जा रहा है और सिर्फ अंग्रेजी का ही उपयोग अनिवार्य है। ऐसी स्थिति में व्यापारीवर्ग को खासी परेशानी हो रही है क्योंकि कई व्यापारी ऐसे है जिन्हें अंग्रेजी भाषा की समझ नहीं है।

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जीएसटी ट्रिब्यूनल में राजभाषा हिंदी को अमान्य कर दिया गया है। आदेश जारी किया गया है कि ट्रिब्यूनल में आने वाले प्रकरणों में दस्तावेज सिर्फ अंग्रेजी में ही स्वीकार होंगे। और तो और किसी प्रकरण को दाखिल करने और पैरवी करने के मामलों में संबंधित दस्तावेजों को भी अंग्रेजी में अनुवाद कर लगाना होगा। जीएसटी ट्रिब्यूनल के इस आदेश से असंतोष फूट पड़ा है। टैक्स पेशेवर साफ कह रहे हैं कि टैक्स विवादों में हिंदी और क्षेत्रीय भाषा को बाहर कर न्याय महंगा करने और आम व्यापारी को न्यायिक प्रक्रिया से दूर करने की साजिश हो रही है। आयकर की तरह जीएसटी के कर विवादों के निराकरण के लिए जीएसटी ट्रिब्यूनल की व्यवस्था की गई है। 2017 में जीएसटी लागू हुआ लेकिन अब तक ट्रिब्यूनल नहीं बने, सिर्फ नोटिफिकेशन जारी हुआ। स्थापना के नोटिफिकेशन के बाद अब सरकार ने नया नोटिफिकेशन जारी कर दिया कि ट्रिब्यूनल में जाने वाले मामलों में दस्तावेज सिर्फ अंग्रेजी में ही पेश किए जा सकेंगे।

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