आज के दौर में लोग जैविक (Organic ) खेती की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसा ही एक अनोखा और सफल प्रयोग केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Union Minister Nitin Gadkari) की पत्नी कांचन गडकरी (Kanchan Gadkari) ने किया है।
नागपुर। आज के दौर में लोग जैविक (Organic ) खेती की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसा ही एक अनोखा और सफल प्रयोग केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Union Minister Nitin Gadkari) की पत्नी कांचन गडकरी (Kanchan Gadkari) ने किया है। उन्होंने अपने फार्महाउस में मल्चिंग पेपर तकनीक (Mulching Paper Technique) की मदद से ऐसा प्याज उगाया, जिसका वजन 1 किलो तक है। सोचिए, अगर आप भी अपने घर में ऑर्गेनिक खेती (Onion Farming) करते हैं, तो इस तकनीक से बड़ा और अच्छा उत्पादन पा सकते हैं।
जानें क्या है पूरा मामला?
नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक वीडियो शेयर कर बताया कि उनकी पत्नी कांचन ने नागपुर के पास धापेवाड़ा गांव में स्थित अपने ‘भक्ति फार्म’ में मल्चिंग पेपर तकनीक (Mulching Paper Technique) का इस्तेमाल कर यह अनूठा प्रयोग किया है। खास बात यह है कि इस तकनीक से उगाए गए प्याज का औसत वजन 400 से 800 ग्राम तक रहा और कुछ प्याज तो 1 किलो तक के निकले।
नागपुर के धापेवाड़ा स्थित हमारे भक्ति फार्म में मेरी पत्नी, श्रीमती कांचन ने एक अनूठा प्रयोग करते हुए, मल्चिंग पेपर तकनीक का इस्तेमाल कर एक किलो तक वज़न वाले ऑर्गेनिक प्याज़ का सफल उत्पादन किया है।#OrganicFarming #OrganicOnion #Nagpur pic.twitter.com/nTjU11anHR
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) May 29, 2025
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खास बीज और आधुनिक तरीका
इस खेती के लिए बीज नीदरलैंड से मंगवाए गए थे। करीब ढाई किलो बीज को एक एकड़ खेत में लगाया गया। पहले 45 दिन तक नर्सरी तैयार की गई, फिर पौधों को ट्रांसप्लांट किया गया। खेत में डबल ड्रिप इरिगेशन सिस्टम (Double Drip Irrigation System) लगाया गया, जिससे सीधे जड़ों में पानी और जैविक खाद (Bio-fertilizer) डाला गया। इसके बाद मल्चिंग पेपर (Mulching Paper) बिछाकर फसल को ढका गया। परिणाम यह रहा कि एक एकड़ से करीब 12-13 टन प्याज का उत्पादन हुआ – वो भी जैविक और बड़ी साइज में।
मल्चिंग पेपर तकनीक क्या है?
मल्चिंग पेपर तकनीक (Mulching Paper Technique) एक आधुनिक तरीका है जिसमें पौधों की जड़ों के आसपास की मिट्टी को एक पतली परत से ढक दिया जाता है। यह परत बायोडिग्रेडेबल पेपर, प्लास्टिक या ऑर्गेनिक मटेरियल से बनी होती है।
इस तकनीक के फायदे
मिट्टी की नमी बनी रहती है।
खरपतवार (जंगली घास) नहीं उगती।
सूरज की रोशनी सीधी मिट्टी तक नहीं पहुंचती।
सिंचाई की जरूरत कम होती है।
फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों बेहतर होते हैं।
जानें कैसे करें इसका इस्तेमाल?
सबसे पहले खेत या गमले की मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार करें।
मिट्टी को समतल करके पत्थर, जड़ें और घास हटा दें।
बेड बनाएं – चौड़ाई लगभग 1 मीटर और ऊंचाई 6-8 इंच।
बेड के दोनों तरफ नाली बनाएं ताकि पानी आसानी से निकले।
मल्चिंग पेपर को बेड पर बिछाएं और किनारों को पिन या मिट्टी से दबा दें।
तय दूरी पर छेद करके पौधे लगाएं।
ड्रिप इरिगेशन से पानी और खाद सीधे जड़ों तक पहुंचाएं।
जानें किन फसलों में होता है ज्यादा फायदा?
इस तकनीक से खासतौर पर सब्जियों और फल वाली फसलों में बेहतरीन नतीजे मिलते हैं। जैसे:
टमाटर
मिर्च
बैंगन
गोभी
फूलगोभी
तरबूज
खरबूजा
स्ट्रॉबेरी
औषधीय पौधे और फूल
अगर आप भी अपने घर की छत या छोटे बगीचे में ऑर्गेनिक खेती (Onion Farming) करते हैं, तो मल्चिंग पेपर तकनीक (Mulching Paper Technique) आजमा सकते हैं। यह न सिर्फ आपके उत्पादन को बढ़ाएगी बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बेहतर करेगी। कांचन गडकरी (Kanchan Gadkari) का यह प्रयोग इस बात का सबूत है कि नई तकनीकों के साथ खेती करना आसान और फायदेमंद हो सकता है। तो क्यों न आप भी अगली बार कुछ नया ट्राई करें – क्या पता आपके बगीचे में भी 1 किलो वाला प्याज उग जाए।