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सिंहस्थ महापर्व : महाकाल की नगरी में धर्म ध्वजाएं लहराने के लिए पचास हजार बांस उगाए

सिंहस्थ में आने वाले सभी अखाड़े व साधुओं को उज्जैन में धर्म ध्वजा लहराने के लिए 30 फीट ऊंचे बांस उज्जैन वन मंडल निशुल्क उपलब्ध कराएगा। वन विभाग ने भैरवगढ़ मार्ग पर शिप्रा नदी के किनारे 10.72 हेक्टेयर में बांस का जंगल उगाया है। सात साल से वन विभाग इनकी देखभाल कर रहा है जो 20 से 25 फीट ऊंचे हो चुके है व साल अगले दो सालों में इनकी ऊंचाई 30 फीट से ज्यादा हो जाएगी।

By Shital Kumar 
Updated Date

उज्जैन। आगामी सिंहस्थ महापर्व को लेकर जहां शासन प्रशासन स्तर पर जोर शोर से तैयारियां हो रही है वहीं इस तैयारियों में उज्जैन का वन विभाग भी पीछे नहीं है। वन विभाग ने महाकाल की नगरी में धर्म ध्वजाएं लहराने के लिए पचास हजार बांस उगाए है। ये बांस साधु संतों को निशुल्क रूप से उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि सिंहस्थ महापर्व में धर्मध्वजं से महाकाल की नगरी लहरा उठे। वन मंडल के अफसरों ने बताया कि तीस फीट उंचे बांसों को शिप्रा के जल से सिंचित किया गया है।

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सिंहस्थ में आने वाले सभी अखाड़े व साधुओं को उज्जैन में धर्म ध्वजा लहराने के लिए 30 फीट ऊंचे बांस उज्जैन वन मंडल निशुल्क उपलब्ध कराएगा। वन विभाग ने भैरवगढ़ मार्ग पर शिप्रा नदी के किनारे 10.72 हेक्टेयर में बांस का जंगल उगाया है। सात साल से वन विभाग इनकी देखभाल कर रहा है जो 20 से 25 फीट ऊंचे हो चुके है व साल अगले दो सालों में इनकी ऊंचाई 30 फीट से ज्यादा हो जाएगी। सिंहस्थ महापर्व के तीन महीने पहले इन बांसों की कटाई के बाद उन्हें व्यवस्थित कर वन मंडल कलेक्टर व मेला अधिकारी को सौंप देगा ताकि उनके माध्यम से सम्पूर्ण सिंहस्थ मेला क्षेत्र में 13 अखाड़ों समेत जितने भी साधु-संत आए सभी को धर्म ध्वजा लहराने के लिए बांस भेंट किए जा सके।

वन मंडल ने धार्मिक महत्व को ध्यान में रख बांस उगाए है। इनकी देखरेख कर रहे डिप्टी रेंजन अनिल सैन बताते है कि नदी किनारे 10.72 हेक्टेयर में बांस का पूरा जंगल है जिसे शिप्रा नदी के जल से ही सिंचित किया गया है। बेंबोसा बाल्कोअ प्रजाति का ये बांस है जिसका बीज साल 2018 में रीवा फ्लोरीकल्चर लेब से आया था। कुल 5600 बांस के पौधे का प्लांटेशन किया गया था।

एक बांस के पेड़ से 20 से 25 बांस निकलते है

एक बांस के पेड़ से 20 से 25 बांस निकलते है उसी अनुसार 50 हजार के लगभग बांस निकलेंगे जिससे सिंहस्थ का पूरा ढाई हजार हेक्टेयर क्षेत्र सनातनी धर्मध्वजाओं के लहराने से सिंहस्थ व उज्जयिनी के धार्मिक महत्व को बढ़ाएगा। बांस का अपना एक अलग ही धार्मिक महत्व होता है। ऐसे में सिंहस्थ के दौरान धर्म ध्वजाएं इन्हीं बांसों पर लहराए इसी आस्था व भाव को ध्यान में रखते हुए उज्जैन वन मंडल ने बांस के पेड़ उगाए है। 50 हजार के लगभग बांस होंगे जिन्हें वन मंडल अखाड़े और साधुओं को धर्म ध्वजा के लिए भेट करेगा।

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विकास कार्यों की तैयारियों की समीक्षा कर अफसरों को जरूरी निर्देश दिए

सिंहस्थ मेला क्षेत्र में नगर विकास योजना की कार्ययोजना तैयार कर कार्य की शुरुआत इस साल जून से युद्ध स्तर पर की जाएगी। मेला क्षेत्र में 200 एमएलडी पेयजल क्षमता का विकास किया जाएगा। सीवर नेटवर्क डिजाइन के अंतर्गत सिंहस्थ के दौरान मेला क्षेत्र में 160 एमएलडी का सीवरेज जनरेशन होगा, जिसमें 100 एमएलडी क्षमता के स्थाई एसटीपी निर्माण किए जाएंगे और अस्थाई रूप से 60 एमएलडी क्षमता के सीवरेज का निष्पादन किया जाएगा। इस संदर्भ में अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री डॉ. राजेश राजौरा ने सिंहस्थ मेला क्षेत्र में होने वाले विकास कार्यों की तैयारियों की समीक्षा कर अफसरों को जरूरी निर्देश दिए हैं। सिंहस्थ के दौरान लोगों को स्वास्थ्य सेवा देने के लिए उज्जैन में भवन विकास निगम द्वारा मेडिसिटी का निर्माण किया जा रहा है। इसकी लागत कुल 592.3 करोड़ रुपए है। इस अस्पताल की क्षमता 550 बिस्तर की होगी। इसके साथ ही मेला क्षेत्र के आसपास 500 अस्थायी अस्पताल बनाए जाएंगे और कैंप लगाए जाएंगे। स्वास्थ्य सुविधाओं को सिंहस्थ मेला क्षेत्र के अनुसार 6 जोन में बांटा जाएगा। सिंहस्थ के समय आईटीएमएस पुलिस विभाग को सौंपा जाएगा। सिंहस्थ में फेस रिकग्निशन, अलर्ट सिस्टम, फायर अलार्म के सभी सॉफ्टवेयर एमपीएसईडीसी द्वारा विकसित किए जाएंगे। ऑल इन वन ऐप भी बनाया जाएगा, जिसमें ड्रोन सर्विस, यातायात एवं वाहन प्रबंधन, मानव संसाधन और कार्य प्रगति की जानकारी की सुविधा मिल सकेगी। सिंहस्थ मेला क्षेत्र का वर्चुअल टूर एप के माध्यम से कराया जाएगा। वहीं, सडक़ एवं अन्य सफाईकर्मियों को मिलाकर 11 हजार 220 सफाईकर्मियों की आवश्यकता होगी। इसके अलावा कचरा संग्रहण के लिए लगभग 5 हजार सफाई कर्मियों की आवश्यकता होगी। कुल मिलाकर 16 हजार 220 सफाई कर्मियों की आवश्यकता होगी।

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