जीवन में सुख और समृद्धि के लिए वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करने से मनोवांछित सफलता प्राप्त होती है। कुछ वास्तु दोष के कारण घर की सुख शांति खंडित रहती है।
Vastu Tips : जीवन में सुख और समृद्धि के लिए वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करने से मनोवांछित सफलता प्राप्त होती है। कुछ वास्तु दोष के कारण घर की सुख शांति खंडित रहती है। वास्तु शास्त्र में भूमि दोष को सबसे गंभीर और प्रभावशाली दोषों में से एक माना गया है। यह उस स्थिति को दर्शाता है जब किसी भूमि पर बना भवन या उसका परिवेश नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। जमीन से जुड़े दोष होने पर घर में बराबर क्लेश, आपसी विवाद, आर्थिक नुकसान, सेहत से जुड़ी समस्याएं और करियर में रुकावट जैसी परेशानियां उत्पन्न होती हैं। आइये कि घर बनाने से पहले जमीन से दोष की पहचान कैसे कर सकते हैं और उसके उपाय क्या हैं।
वास्तु शास्त्र में जमीन दोष
ब्राह्मणी मिट्टी- श्वेत रंग, सुगंधित, मधुर स्वाद – यह आध्यात्मिक और बुद्धिजीवी वर्ग के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है।
क्षत्रिय मिट्टी- लाल रंग, तीखी गंध, कसैला स्वाद – यह प्रशासकों और अधिकारियों के लिए अनुकूल होती है।
वैश्य मिट्टी- हल्का पीला रंग, हल्की गंध, खट्टा स्वाद – यह व्यापारिक कार्यों में लाभदायक होती है।
शुद्ध मिट्टी- काली, हल्की तीखी गंध, कड़वा स्वाद – यह सभी वर्गों के लिए शुभ मानी जाती है।
उपाय
वास्तु शास्त्र के अनुसार, भूमि की मिट्टी के रंग, गंध और स्वाद से उसकी प्रकृति और प्रभाव का अनुमान लगाया जा सकता है। मिट्टी के रंग और गंध के अलावा, वास्तु शास्त्र में अन्य तरीकों से भी भूमि दोष की जांच की जाती है। एक प्रभावी तरीका है गड्ढा खोदकर उसमें पानी भरना। गड्ढे में पानी डालने के बाद पूर्व दिशा में 100 कदम चलें। यदि पानी भरा रहता है, तो भूमि शुभ है।
मुख्य द्वार पर काले घोड़े की नाल लगाएं।
घर के कोनों में कपूर से दीपक जलाकर धूप दिखाएं।
गंगाजल का छिड़काव नियमित रूप से करें।