प्रेगनेंसी के दौरान मां और गर्भ में पल रहे बच्चों का खास ख्याल रखने की जरुरत होती है। ऐसे ही नवजात शिशु को जन्म लेने के बाद भी बहुत ध्यान रखा जाता है। ताकि नवजात शिशु को किसी तरह का इंफेक्शन न हो और इम्यूनिटी बेहतर हो।
प्रेगनेंसी के दौरान मां और गर्भ में पल रहे बच्चों का खास ख्याल रखने की जरुरत होती है। ऐसे ही नवजात शिशु को जन्म लेने के बाद भी बहुत ध्यान रखा जाता है। ताकि नवजात शिशु को किसी तरह का इंफेक्शन न हो और इम्यूनिटी बेहतर हो।
नवजात बच्चों के शरीर की इम्यूनिटी पूरी तरह विकसित नहीं होती है। वैक्सीनेशन उन्हें गंभीर बीमारियों से बचाती है। वैक्सीनेशन बच्चों को जिंदगीभर के लिए टीबी, पीलिया और हेपेटाइटिस बी जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाने में मददगार होती हैं। वैक्सीनेशन से बच्चों के शरीर को सुरक्षित बनाया जाता है।
क्योंकि उनका शरीर बाहर की दुनिया के इंफेक्शन से सुरक्षित नहीं होता है। यही कारण है कि जन्म के तुरंत बाद बच्चों को कुछ जरूरी वैक्सीन लगाई जाती है, ताकि गंभीर बीमारियों से बचे रहें। बच्चों के वैक्सीनेशन का समय और प्रकार डॉक्टर तय करते हैं। न्यू पैरेंट्स भी अक्सर इसे लेकर सवाल करते हैं कि उनके बच्चे को कब कौन सी वैक्सीन लगवानी है। आज हम आपको बच्चों को लगने वाले टीके या वैक्सीन के बारे में बताने जा रहे हैं जो लगनी बेहद जरुरी होते है।
नवजात बच्चों को जन्म के बाद पहले 24 घंटे में ही बीसीजी वैक्सीन लगाई जाती है। बीसीजी की वैक्सीन बच्चों को ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) जैसे खतरनाक बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाने के लिए दी जाती है। इससे बच्चे का शरीर टीबी बैक्टीरिया से लड़ने के लिए तैयार होती है।
नवजात को दूसरा सबसे जरुरी वैक्सीन होती है हेपेटाइटिस बी। यह बच्चे को जन्म के बाद पहले 24 घंटे लगाया जाता है। हेपेटाइटिस बी की पहली खुराक डॉक्टर देते हैं। यह वैक्सीन शिशु को इस गंभीर इंफेक्शन से बचाती है, जो ब्लड फिजिकल लिक्विड या संक्रमित माता-पिता से फैल सकती है।
नवजात बच्चों को लगने वाली तीसरी सबसे जरुरी वैक्सीन है पोलियो की। पोलियो वैक्सीनेशन बच्चों को पोलियो जैसे जानलेवा वायरस से बचाने में मदद करती है। यह वायरस बच्चों को लकवा मार सकता है और जानलेवा भी हो सकता है। जन्म के बाद ओरल पोलियो वैक्सीन की पहली डोज दी जाती है। इससे पोलियो वायरस का असर खत्म करने में मदद मिलती है।