आज 17 अप्रैल को वर्ड हीमोफिलिया डे के रुप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगो को इस बीमारी के प्रति जागरुक करना है। हीमोफीलिया ब्लड से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। सामान्य अवस्था में ब्लड में मौजूद एक खास तरह का प्रोटीन कटने या चोट लगने पर तुरंत एक्टिव हो जाता है।
आज 17 अप्रैल को वर्ड हीमोफिलिया डे के रुप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगो को इस बीमारी के प्रति जागरुक करना है।
हीमोफीलिया ब्लड से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। सामान्य अवस्था में ब्लड में मौजूद एक खास तरह का प्रोटीन कटने या चोट लगने पर तुरंत एक्टिव हो जाता है।
जिससे खून में थक्के जमने की प्रक्रिया शुरु हो जाती है और खून निकलना थोड़ी ही देर में रुक जाता है। जब किसी जेनेटिक कारण से व्यक्ति के शरीर में इस तत्व की कमी हो जाती है तो उसी अवस्था में हीमोफीलिया कहा जाता है और ऐसे में खून का बहाव रोकना बहुत मुश्किल हो जाता है।
हीमोफीलिया में खान पान का विशेष ध्यान रखना बेहद जरुरी है। प्रोटीन, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन के, बी 12, बी6 और विटामिन सी मिलते है। ये सभी रेड ब्लड सेल के उत्पादन के लिए जरुरी है। सही खानपान से शरीर में ब्लड की मात्रा बढ़ती है।
हीमोफीलिया के लक्षण
हीमोफीलिया बीमारी का कोई खास लक्षण नजर नहीं आता है। सिर्फ चोट लगने पर खून बहने और ब्लीडिंग न रुकने से स्थिति गंभीर होने लगती है। इसके अलावा अधिक ब्लीडिंग की वजह से जोड़ों में दर्द और अकड़न की दिक्कत होने लगती है।
मांसपेशियों में ब्लीडिंग होने के कारण मसल्स टिशू डैमेज होने लगते है। कई बार जोड़ों के पास वाले टिशूज में ब्लीडिंग हो जाती है। हीमोफीलिया के मरीज को नाक से खून आने लगता है। ऐसा बार बार हो सकता है।
समय पर इलाज न होने पर शरीर में खून की कमी हो सकती है जो एनीमिया का शिकार बना सकती है। इतना ही नहीं हीमोफीलिया के मरीज को जरा सी चोट लगने पर ही खून निकलने लगता है। कई बार स्किन पर लाल और बैंगनी रंग के धब्बे पड़ जाते है। ऐसा स्किन के अंदर ब्लीडिंग की वजह से होता है। ऐसा ब्लड वेसल्स फटने और टिशू में ब्लड लीक होने से होता है।