चैत्र माह के नवमी तिथि पर रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम की विधिवत पूजा आराधना की जाती है।
Chaitra Ram Navami Puja Shubh Muhurat : चैत्र माह के नवमी तिथि पर रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम की विधिवत पूजा आराधना की जाती है। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर श्रीराम का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि पर भगवान श्रीराम की शुभमूहूर्त में पूरी श्रद्धा और मनोभाव से पूजा अर्चना किए जाने की परंपरा है। रामलला का जन्म कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में मध्य दोपहर में हुआ था और इस चलते दोपहर के समय भगवान राम की पूजा का शुभ मुहूर्त पड़ता है। इस साल रामनवमी 6 अप्रैल, रविवार के दिन पड़ रही है।
शुभ मुहूर्त
रामलला की पूजा का शुभ मुहूर्त रामनवमी के दिन कुल ढाई घंटे का होने वाला है। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजे से शुरू होगा और दोपहर 1:35 बजे तक रहेगा। इस समयावधि में रामनवमी की पूजा संपन्न की जा सकती है।
रामनवमी की पूजा
रामनवमी की पूजा करने के लिए भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्तियों को चौकी पर सजाएं। सभी पर जल और पंचामृत चढ़ाएं। अब सभी पर चंदन, रोली और फूल चढ़ाएं। इसके बाद धूप-दीप जलाएं। अब मौसमी फल चढ़ाएं और नैवेद्य लगाएं।
पूजा सामग्री
पूजा सामग्री में केतकी के फूल, चंपा, मालती, कमल, गेंदा, गुलाब और कुंद के फूल शामिल किए जा सकते हैं. इसके साथ ही तुलसी, बिल्वपत्र, कुशा, शमी और भृंगराज के पत्ते पूजा सामग्री में शामिल कर सकते हैं।
श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों का पाठ
पूजा सामग्री को श्रीराम के समक्ष अर्पित करने के बाद आरती करें और मंत्रों का जाप करें।
श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों का पाठ करना भी इस दिन बेहद शुभ माना जाता है।
चैत्र रामनवमी दुर्लभ संयोग 2025
रवि पुष्य योग
समय: 6 अप्रैल सुबह 6:18 बजे से 7 अप्रैल सुबह 6:17 बजे तक
इस योग में किया गया कोई भी कार्य कभी विफल नहीं होता। शास्त्रों के अनुसार यह खरीदारी, नया व्यापार शुरू करने और मंत्र सिद्धि के लिए सर्वोत्तम होता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग
समय: 6 अप्रैल को पूरे दिन
यह योग सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है। कोई भी शुभ कार्य इस दिन किया जाए, वह सफल और फलदायी होता है।
सुकर्मा योग
समय: 6 अप्रैल को सुबह से शाम 6:55 बजे तक
यह योग कर्म और परिणाम को जोड़ता है। यानी मेहनत करने वाले को उसका फल जरूर मिलता है. इस दिन पढ़ाई, नौकरी, धन निवेश या संकल्प लेना विशेष फल देता है।
श्रीराम के मंत्रों का जाप करने के लिए उत्तर या पूर्व दिशा में मुंह करके बैठें। पीले या सफेद आसन पर बैठकर तुलसी की माला से जाप करना बेहद शुभ माना जाता है।
मंत्रों का जाप
ऊँ रां रामाय नम:।।
आपदामपहर्तार दातारं सर्वसंपदाम्। लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्।।
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेदसे। रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:।।
ॐ दशरथये विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि, तन्नो राम प्रचोदयात्॥
राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे। सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।।