दान करने का विशेष महत्व है। सदियों से परोपकार और कल्याणार्थ के लिए लोगों के द्वारा विभिन्न तरीके से दान किया जाता है। सनातन धर्म में दान करने के कर्ण तरीके बताए गए है।
Gupt Daan : दान करने का विशेष महत्व है। सदियों से परोपकार और कल्याणार्थ के लिए लोगों के द्वारा विभिन्न तरीके से दान किया जाता है। सनातन धर्म में दान करने के कर्ण तरीके बताए गए है। दान की श्रेणी में गंप्त दान को महा दान कहा जाता है। इसका महत्व और पुण्य लाभ कई गुना बढ़ जाता है। ज्सोतिष शास्त्र में कुंडली के दोषों को शुद्ध करने के लिए और जीवन में मनोकामना को पूर्ण करने के लिए कई वस्तुओं के दान को उपाय के रूप मंे बताया गया है।
शास्त्रों में तीन प्रकार के दान को बहुत महत्व दिया गया है। ये हैं –नित्यदान, नैमित्तिक दान और काम्य दान। इन चीजों के दान करने से देवी-देवताओं की कृपा बरसती है और भक्तों को रातों-रात मालामाल कर देते हैं।
पानी का दान
गुप्त दान के इच्छुक लोग जगह –जगह पर मटके रखवा सकते हैं। प्याऊ बनाकर लोगों को पीने के लिए पानी की व्यवस्था कर सकते हैं।
भंडारा
किसी भूखे या जरूरतमंदों को खाना खिलाना बहुत ही पुण्य का काम होता है। जो लोग गुप्त दान देने के इच्छुक हैं, उन्हें मंदिरों, अनाथालयों और गरीबों में खाना बनवाकर बांटना चाहिए।
सत्तू और गुड़ का दान
शास्त्रों में गुड़ के दान का विशेष महत्त्व बताया गया है। मान्यता है कि गर्मी में सत्तू और गुड़ का दान करने से लोगों को भूख से तो तृप्ति मिलती ही है। इसके अलावा उन्हें गर्मी से होने वाली बीमारियों के प्रभाव को भी कम करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि गुड़ के दान से सुख समृद्धि आती है। इससे न केवल देवी- देवता ही प्रसन्न होते हैं, बल्कि पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।