गुरु को मांगलिक कार्य का कारक ग्रह माना जाता है, यही वजह है कि विवाह, सगाई, मुंडन, या कोई शुभ कार्य करना हो तो गुरु का उदित होना जरुरी है।
गुरु का प्रभाव कम हो जाता है
ज्योतिष में ग्रहों के राजा सूर्य के निकट जब कोई ग्रह एक तय दूरी पर आ जाता है तो वह सूर्य ग्रह के प्रभाव से बलहीन हो जाता है, इसे ग्रह का अस्त होना माना जाता है, जब गुरु अस्त होते हैं तो गुरु का प्रभाव कम हो जाता है। मांगलिक कार्य में सफलता नहीं मिलती हैं।
चातुर्मास
दरअसल 6 जुलाई 2025 को देवशयनी एकादशी है और इस दिन से चातुर्मास शुरू हो जाते हैं। चातुर्मास में मांगलिक कार्य पर पाबंदी रहती है। ऐसे में 11 जून से पहले ही शुभ कार्य कर लें, नहीं तो 5 महीने यानी देवउठनी एकादशी तक इंतजार करना होगा।
पीपल को जल चढ़ाएं
गुरु अस्त हो तब पीपल के पेड़ में ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।। मंत्र का जाप करते हुए जल चढ़ाएं। इससे बृहस्पति का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है।