International Yoga Day 2025 : शनिवार 21 जून को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day 2025) मना जाएगा। योग से न केवल शरीर की शक्ति और लचीलापन बढ़ाता है, बल्कि आत्मा को जागृत करने का भी एक अवसर होता है। तो इस बार योग दिवस (Yoga Day) को और खास बनाएं “शिव साधना” (Shiv Sadhna) से जुड़े चार दिव्य योगासनों (Four divine yoga postures) के अभ्यास से।
International Yoga Day 2025 : शनिवार 21 जून को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day 2025) मना जाएगा। योग से न केवल शरीर की शक्ति और लचीलापन बढ़ाता है, बल्कि आत्मा को जागृत करने का भी एक अवसर होता है। तो इस बार योग दिवस (Yoga Day) को और खास बनाएं “शिव साधना” (Shiv Sadhna) से जुड़े चार दिव्य योगासनों (Four divine yoga postures) के अभ्यास से। ये योगासन न केवल आपको मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रदान करेंगे, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी अग्रसर करेंगे। चलिए जानते हैं शिव परंपरा से जुड़े इन विशेष आसनों के बारे में।
शिवलिंग हस्त मुद्रा : एकाग्रता और आंतरिक शांति का प्रतीक
शिवलिंग हस्त मुद्रा (Shivling Hasta Mudra) एक शक्तिशाली हस्त मुद्रा है जो एकाग्रता बढ़ाने और आंतरिक शांति प्राप्त करने में मदद करती है। यह मुद्रा भगवान शिव के ऊर्जा स्वरूप को दर्शाती है।
कैसे करें?
अपने दाएं हाथ की मुट्ठी बनाएं, जिसमें अंगूठा ऊपर की ओर सीधा हो। अपने बाएं हाथ की हथेली को दाएं हाथ की मुट्ठी के नीचे रखें, जैसे कि आप मुट्ठी को सहारा दे रहे हों। इस मुद्रा को अपनी नाभि के पास या हृदय के पास रखें। अपनी आंखें बंद करें और धीमी, गहरी सांसें लें। कुछ मिनटों तक इस मुद्रा में रहें और अपने मन को शांत होने दें।
नटराजासन मुद्रा : संतुलन और लचीलेपन का नृत्य
नटराजासन, जिसे ‘नृत्य के राजा का आसन’ भी कहा जाता है, भगवान शिव के नटराज स्वरूप को समर्पित है, जो ब्रह्मांडीय नृत्य का प्रतीक है. यह आसन संतुलन, लचीलापन और एकाग्रता को बढ़ाता है।
कैसे करें?
ताड़ासन (सीधे खड़े हो जाएं) में खड़े हों। अपना वजन बाएं पैर पर शिफ्ट करें और दाएं घुटने को मोड़ें। दाएं हाथ से दाएं पैर के टखने या पैर के ऊपरी हिस्से को पकड़ें। सांस लेते हुए, दाएं पैर को ऊपर उठाएं और शरीर को आगे की ओर झुकाएं। बाएं हाथ को सीधे सामने की ओर फैलाएं (ज्ञान मुद्रा में भी रख सकते हैं)। संतुलन बनाए रखें और कुछ देर इसी स्थिति में रहें। सांस छोड़ते हुए प्रारंभिक स्थिति में वापस आएं और दूसरी तरफ दोहराएं।
हनुमानासन मुद्रा : शक्ति और समर्पण का प्रतीक
हनुमानासन, या ‘हनुमान का आसन’, भगवान हनुमान की छलांग को दर्शाता है, जो शक्ति, भक्ति और निस्वार्थ सेवा के प्रतीक हैं। यह आसन पैरों और कूल्हों में गहन खिंचाव लाता है।
कैसे करें?
शुरुआत अधोमुख श्वानासन (डाउनवर्ड-फेसिंग डॉग) से करें। दाएं पैर को आगे लाएं और दोनों हाथों के बीच रखें, जैसे कि अश्व संचलनासन में। धीरे-धीरे दाएं पैर को आगे की ओर स्लाइड करें, जबकि बाएं पैर को पीछे की ओर स्लाइड करें, जब तक कि दोनों पैर लगभग सीधे न हो जाएं। अपने कूल्हों को जमीन पर लाने का प्रयास करें, लेकिन केवल उतना ही जितना आपको आराम दे। हाथों को जमीन पर सहारा दें या उन्हें प्रार्थना मुद्रा में छाती के सामने लाएं। कुछ गहरी सांसें लें और कुछ देर इसी आसन में रहें. धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में वापस आएं और दूसरी तरफ दोहराएं।
शिव ध्यान : मोक्ष की ओर एक कदम
यद्यपि ‘ध्यान मुद्रा’ एक विशिष्ट आसन नहीं है, यह शिव साधना का एक अभिन्न अंग है। यह किसी भी आरामदायक ध्यान मुद्रा में बैठकर किया जा सकता है, जैसे कि पद्मासन या सुखासन। इस ध्यान का उद्देश्य मन को शांत करना और शिव के दिव्य स्वरूप से जुड़ना है।