यूपी में 'जल जीवन मिशन' के तहत लोगों के घरों तक स्वच्छ जल पहुंचाने के लिए प्रदेश में करीब पौने दो लाख करोड़ की टेंडर प्रक्रियाएं हुईं। टेंडर प्रक्रिया के बाद से ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ। इसके बाद एक के बाद एक शिकायतें भी आनी शुरू हुईं। गांव के प्रधान से लेकर कई नेताओं ने इस योजना में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत सीएम से लेकर पीएमओ तक की लेकिन शिकायतों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। लेकिन अब इस योजना के तहत बनी पानी की टंकियों के गिरने के बाद एक बार फिर से 'जल जीवन मिशन' में करोड़ों के भ्रष्टाचार की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है।
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे महत्वाकांक्षी योजना ‘जल जीवन मिशन’ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही है। मध्य प्रदेश में 30 हजार करोड़ घोटाले का मामला सामने आया है। इसको लेकर अब प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायत की गयी है। ऐसा नहीं कि, ये भ्रष्टाचार सिर्फ मध्य प्रदेश तक सीमित है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भी इस योजना में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। ये भ्रष्टाचार विभाग के ‘प्रमुख’ नौकरशाह और उनके करीबी अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है। भ्रष्टाचार का आलम ये है कि, प्रदेश में बनी कई पानी की टंकियां तक जमींदोज हो चुकी हैं। इसमें सीतापुर, कानपुर, लखीमपुर समेत अन्य जगहों की पानी की टंकियां शामिल हैं। यही नहीं, कमीशन के लिए जल निगम ग्रामीण के अधिशासी अभियंता (एक्सईएन) की हत्या तक कर दी गयी लेकिन यूपी में कागजों में सब सही चल रहा है।
दरअसल, यूपी में ‘जल जीवन मिशन’ के तहत लोगों के घरों तक स्वच्छ जल पहुंचाने के लिए प्रदेश में करीब पौने दो लाख करोड़ की टेंडर प्रक्रियाएं हुईं। टेंडर प्रक्रिया के बाद से ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ। इसके बाद एक के बाद एक शिकायतें भी आनी शुरू हुईं। गांव के प्रधान से लेकर कई नेताओं ने इस योजना में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत सीएम से लेकर पीएमओ तक की लेकिन शिकायतों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। लेकिन अब इस योजना के तहत बनी पानी की टंकियों के गिरने के बाद एक बार फिर से ‘जल जीवन मिशन’ में करोड़ों के भ्रष्टाचार की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। ऐसे में हम आपको सिलसिलेवार तरीके से इस योजना में हो रहे भ्रष्टाचार से अवगत कराएंगे कि आखिर कैसे खुलेआम प्रधानमंत्री की इस महत्वाकांक्षी योजना में अधिकारी, कर्मचारी और विभाग के प्रमुख मिलकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं….
लखीमपुर खीरी में पानी की टंकी गिरी
‘जल जीवन मिशन’ में हो रहे भ्रष्टाचार की कहानी हम लखीमपुर खीरी से शुरू करते हैं, जहां साढ़े तीन करोड़ की लागत से बनी पानी की टंकी भरभराकर गिर गई। इस टंकी के गिरने के बाद स्थानीय लोगों ने योजना में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। लोगों का कहना था कि, आखिर इतने रुपयों से बनी पानी की टंकी कैसे गिर गई? ये पानी की टंकी लखीमपुर खीरी के शेखपुर गांव में कुछ महीने पहले ही बनी थी।
सीतापुर में जमींदोज हुई पानी की टंकी
सरैया सीतापुर विकास खंड पहला के अंतर्गत ग्राम चुनका में जल जीवन मिशन योजना के तहत बनी पानी की टंकी भी भ्रष्टाचार का भार सह नहीं पाई और भरभराकर गिर गई। टंकी का निर्माण करीब पांच करोड़ 31 लाख रुपये की लागत से हुआ था। ऐसे में सवाल उठता है कि, इतने रुपयों से निर्माण होने वाली ये पानी की टंकियां आखिर कैसे गिर जा रही हैं? वहीं, स्थानीय लोग इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं।
जल निगम ग्रामीण के अधिशासी अभियंता की हत्या
इस योजना में चल रहे भ्रष्टाचार पर अकुंश लगाने वाले ईमानदार कर्मचारियों की हत्या तक कर दी गयी। सुल्तानपुर में जल निगम (ग्रामीण) के अधिशासी अभियंता संतोष कुमार की बेरहमी से हत्या की गयी। हत्या एई अमित कुमार ने अपने साथी के साथ मिलकर की थी। जल जीवन मिशन में काम कर रही एजेंसी के खिलाफ रिपोर्ट तैयार करने और उसे हटाने के लिए पत्राचार किए जाने को लेकर अमित ने साथी के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दिया था।
ज्वैलर्स के यहां पहुंच रही ब्लैकमनी
जल जीवन मिशन के तहत किए जा रहे भ्रष्टाचार में ‘सिंह साहब’ अहम भूमिका निभा रहे हैं। ‘सिंह साहब’ के इशारों पर भी ब्लैकमनी को राजधानी लखनऊ के कई ज्वैलर्स के यहां पहुंचाया जाता है। पर्दाफाश न्यूज ने ‘सिंह साहब’ के कारनामों को पहले भी उजागर किया था। जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार की सबसे अहम कड़ी ही सिंह साबह हैं।
एक प्रमुख सचिव सात सालों से जमे
यूपी में जल जीवन मिशन के तहत काम को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव भी लंबे समय से यहां पर जमे हुए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि, आखिर एक व्यक्ति को इतने लंबे समय तक क्यों विभाग का प्रमुख सचिव बनाया गया है। आखिर प्रदेश में जल जीवन मिशन में हो रहे भ्रष्टाचार की जिम्मेदारी किसकी है?