सेफ मोड (Safe Mode) एंड्रॉयड फोन का एक खास बूट मोड होता है। इसमें फोन सिर्फ जरूरी सिस्टम एप्स के साथ चालू होता है, जबकि यूजर द्वारा इंस्टॉल किए गए सभी थर्ड पार्टी एप्स (Third-Party Apps) अपने आप बंद हो जाते हैं। इसका मकसद फोन को एक सुरक्षित माहौल में चलाकर यह पता लगाना होता है कि समस्या सिस्टम की है या किसी एप की वजह से।
नई दिल्ली। सेफ मोड (Safe Mode) एंड्रॉयड फोन का एक खास बूट मोड होता है। इसमें फोन सिर्फ जरूरी सिस्टम एप्स के साथ चालू होता है, जबकि यूजर द्वारा इंस्टॉल किए गए सभी थर्ड पार्टी एप्स (Third-Party Apps) अपने आप बंद हो जाते हैं। इसका मकसद फोन को एक सुरक्षित माहौल में चलाकर यह पता लगाना होता है कि समस्या सिस्टम की है या किसी एप की वजह से।
क्या पता चलता है?
अगर सेफ मोड में फोन बिना किसी परेशानी के सही तरीके से काम करने लगता है, तो साफ संकेत मिलता है कि दिक्कत किसी थर्ड पार्टी एप के कारण है। वहीं, अगर सेफ मोड में भी समस्या बनी रहती है, तो मामला सिस्टम सॉफ्टवेयर से जुड़ा हो सकता है।
कब इस्तेमाल करना चाहिए?
जब फोन अचानक स्लो हो जाए, बार-बार हैंग होने लगे या बिना वजह रीस्टार्ट होने लगे, तब सेफ मोड ट्राई करना चाहिए। इसके अलावा, किसी नए एप को इंस्टॉल करने के बाद अगर फोन में गड़बड़ी शुरू हो जाए, बैटरी तेजी से खत्म होने लगे या स्क्रीन फ्रीज हो जाए, तो सेफ मोड सबसे पहले इस्तेमाल करने वाला फीचर है।
फोन कैसे काम करता है?
इस मोड में फोन लिमिटेड फीचर्स के साथ चलता है। कॉलिंग, मैसेज, सेटिंग्स और जरूरी सिस्टम एप्स तो काम करते हैं, लेकिन सोशल मीडिया, गेम्स और अन्य डाउनलोड किए गए एप्स एक्टिव नहीं रहते। इस वजह से फोन का परफॉर्मेंस ज्यादा स्टेबल रहता है और समस्या को पहचानना आसान हो जाता है।
जाने इसके फायदे?
सेफ मोड (Safe Mode) की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे बिना फैक्ट्री रीसेट किए फोन की दिक्कत समझी जा सकती है। अगर सेफ मोड में फोन ठीक चलता है, तो यूजर एक-एक करके संदिग्ध एप्स को अनइंस्टॉल कर सकता है। इससे डेटा भी सुरक्षित रहता है और फोन दोबारा सामान्य रूप से काम करने लगता है। इसी वजह से सेफ मोड को एंड्रॉयड फोन का सबसे भरोसेमंद ट्रबलशूटिंग फीचर (Troubleshooting Feature) माना जाता है।