आजकल सोशल मीडिया (Social Media) और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के बीच गहराते संबंधों पर बहस तेज़ हो गई है। इसी संदर्भ में Pew Research Center द्वारा किए गए एक हालिया सर्वे में यह सामने आया है कि अमेरिका के किशोर अब सोशल मीडिया (Social Media) के असर को लेकर पहले से ज्यादा सतर्क हो गए हैं।
नई दिल्ली। आजकल सोशल मीडिया (Social Media) और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के बीच गहराते संबंधों पर बहस तेज़ हो गई है। इसी संदर्भ में Pew Research Center द्वारा किए गए एक हालिया सर्वे में यह सामने आया है कि अमेरिका के किशोर अब सोशल मीडिया (Social Media) के असर को लेकर पहले से ज्यादा सतर्क हो गए हैं।
सर्वे में शामिल लगभग 48 फीसदी किशोरों का मानना है कि सोशल मीडिया उनके उम्रदराज दोस्तों के लिए हानिकारक है। जबकि 2022 में यह आंकड़ा 32 फीसदी था। दिलचस्प बात यह है कि खुद के लिए इस नुकसान को सिर्फ 14 फीसदी किशोर ही स्वीकार करते हैं।
यह सर्वे 13 से 17 साल की उम्र के 1,391 किशोरों और उनके माता-पिता के बीच 18 सितंबर से 10 अक्टूबर 2024 के बीच किया गया था। इसमें सोशल मीडिया (Social Media) और स्मार्टफोन के इस्तेमाल से जुड़ी उनकी राय और अनुभवों को समझने की कोशिश की गई। जहां 50 फीसदी से ज़्यादा माता-पिता किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर ‘बेहद’ या ‘काफी’ चिंतित हैं, वहीं केवल 35 फीसदी किशोरों ने खुद को लेकर ऐसी चिंता जताई।
लड़कियों में मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) को लेकर चिंता का स्तर लड़कों के मुकाबले ज्यादा है। 42 फीसदी लड़कियों ने इसे गंभीर मुद्दा माना जबकि लड़कों में यह आंकड़ा 28 फीसदी रहा। माता-पिता में भी माताएं (61 फीसदी) पिताओं (47 फीसदी) से ज़्यादा चिंतित नज़र आईं। किशोरों में भी यही पैटर्न देखने को मिला। 50 फीसदी किशोरों ने मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) पर चिंता जताई जबकि गोरे किशोरों में यह आंकड़ा 31 फीसदी और हिस्पैनिक में 39 फीसदी था।
हालांकि कई युवा सोशल मीडिया (Social Media) को दोस्तों से जुड़ने और रचनात्मकता दिखाने का मंच मानते हैं। इसमें 74 फीसदी ने इसे दोस्ती के लिए सकारात्मक बताया और 63 फीसदी ने इसे रचनात्मकता के लिए उपयोगी कहा लेकिन इसके नकारात्मक प्रभाव भी सामने आए हैं।
लगभग हर पांच में से एक युवा ने माना कि सोशल मीडिया (Social Media) ने उसके मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) या पढ़ाई पर बुरा असर डाला है। 45 फीसदी युवाओं ने कहा कि सोशल मीडिया (Social Media) के कारण उनकी नींद प्रभावित हुई, और 40 फीसदी ने उत्पादकता में कमी की बात कही। इसके बावजूद, केवल 10 फीसदी या उससे कम युवाओं को लगता है कि सोशल मीडिया (Social Media) उनके सोने या काम करने में मदद करता है।
2022 में जहां 67 फीसदी किशोरों ने सोशल मीडिया (Social Media) को मुश्किल वक्त में सहारा देने वाला मंच बताया था, वहीं 2024 में यह संख्या घटकर 52 फीसदी रह गई है। 25 फीसदी युवा लड़कियों को लगता है कि सोशल मीडिया (Social Media) उनके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, जबकि लड़कों में यह संख्या 14 फीसदी है। 20 फीसदी लड़कियों का मानना है कि इससे आत्मविश्वास पर असर पड़ता है और 50 फीसदी को नींद की समस्या होती है, ये दोनों आंकड़े लड़कों के मुकाबले 10 फीसदी ज्यादा हैं।