आदि देव भगवान शंकर का निवास स्थान कैलाश मानसरोवर है। भारतीय पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है कि देवों के देव महादेव यहां परिवार ,परिकरों और गणों सहित निवास करते है।
Kailash Mansarovar Yatra 2025 : आदि देव भगवान शंकर का निवास स्थान कैलाश मानसरोवर है। भारतीय पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है कि देवों के देव महादेव यहां परिवार ,परिकरों और गणों सहित निवास करते है। सनातन धर्मियों के लिए यह पवित्र स्थल है। तीर्थयात्रियों के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा को मोक्ष और आध्यात्मिक मुक्ति का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार,ऐसा माना जाता है कि जब शिव और पार्वती विवाह के लिए कैलाश मानसरोवर से त्रियुगीनारायण जा रहे थे , तो उन्होंने आदि कैलाश में विश्राम किया था। आदि कैलाश ट्रेक के पास शांत पार्वती ताल और गौरी कुंड है। कैलाश मानसरोवर यात्रा पिछले पांच वर्षों से बंद थी। लेकिन इस साल 30 जून 2025 से यह धार्मिक यात्रा फिर शुरू हो रही है, जोकि अगस्त तक चलेगी। तीर्थयात्री कैलाश पर्वत की परिक्रमा करते हैं और मानसरोवर झील में स्नान करते हैं। यह यात्रा हर साल पिथौरागढ़ जिले के लिपुलेख पास से होती रही है। लेकिन कोरोना महामारी (Covid) के कारण 2020 से ही बंद थी। आइए जानते हैं इस पावन धार्मिक यात्रा के जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
ऋग्वेद और स्कंद पुराण के अनुसार , कैलाश ब्रह्मांडीय दुनिया का केंद्र है , जो गंगा, सतलुज, सिंधु और ब्रह्मपुत्र जैसी पवित्र नदियों से घिरा हुआ है। कैलाश को स्वास्तिक पर्वत (विशेषकर तिब्बती बोन धर्म में) के रूप में पूजा जाता है। यह यात्रा खासकर हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्मों में महत्वपूर्ण मानी जाती है।
बीते दिन नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय में इस यात्रा को लेकर बैठक हुई थी। जिसमें यह फैसला लिया गया कि, इस यात्रा का संचालन कुमाऊं मंडल विकास निगम करेगा। यात्रा की शुरुआत दिल्ली से होकर पिथौरागढ़ के लिपुलेख पास से जाएगी। पहले यात्रा का रास्ता काठगोदाम और अल्मोड़ा से होता था, लेकिन अब यह टनकपुर से चंपावत होते हुए आगे बढ़ेगी।